कॉलेज और स्कूलों के बाहर आवारा और सनकी युवकों का चक्कर लगाना पुलिस प्रशासन को तब तक नहीं दिखता, जब तक कोई वारदात न हो जाए। कानोडिया कॉलेज की एक छात्रा के साथ आख़िर ऐसा हो ही गया। पीछा करने वालों से तंग महारानी कॉलेज की छात्राएँ भी रोष में हैं। वहाँ की छात्राओं ने कहा- ‘हम महारानी कॉलेज की अन्तिम वर्ष की छात्राएँ हैं। पिछले छ: महीने से मोहम्मद यूसुफ़ नामक शख़्स कॉलेज के बाहर खड़ा होकर अश्लील हरकतें कर रहा था। हरकतें भी ऐसी घिनौनी कि छात्राओं को अपनी शर्म से अपनी नज़रें बचाकर बचकर निकलना पड़े। हमने कॉलेज प्राचार्य और कुलपति तक से शिकायत की; लेकिन सभी अनसुना कर गये। उनका कहना है कि घटना कॉलेज के बाहर की है, हम क्या करें?’
छात्राओं ने कहा कि पिछले दो दिन से यह शख़्स कॉलेज के टोंक रोड वाले गेट पर आकर कार रोक लेता और जबरन छात्राओं को कार में बैठने के लिए कहता। छात्राओं ने उसे सबक़ सिखाने की ठानी। उसकी हरकतों का वीडियो बनाया और पुलिस तक पहुँचाया। लेकिन पुलिस ने आपराधिक सोच वाले इस युवक को केवल शान्ति भंग में गिरफ़्तार किया। कोई सख़्त कार्रवाई नहीं की। पुलिस मौक़े पर तक नहीं गयी। वीडियो देने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर की बजाय केवल शिकायत दर्ज की। जबकि मामला तो पॉक्सो एक्ट और आईपीसी की धारा-354 में मामला दर्ज किया जाना चाहिए था। पुलिस की मनमानी यहीं नहीं रुकी। एफआईआर में पुलिस ने घटना 3 जून की मानी है और अपराध की जानकारी 5 जून सुबह 10:45 पर मिलने का उल्लेख किया। जबकि बेहूदा हरकत के बारे में पुलिस को छात्राओं ने 3 जून को ही शिकायत और वीडियो सौंप दिया था।
पढ़ाई, नौकरी या अन्य किसी काम के लिए बाहर निकल रही लड़कियाँ, महिलाओं की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी समाज के मर्दों की है। उन्हें महिलाओं की रक्षा करनी चाहिए; लेकिन वे ही उनके साथ छेड़़छाड़ कर रहे हैं। लड़कियाँ शिकायत भी करती हैं, तो उन्हें नसीहत देकर दबा दिया जाता है। कभी उनके कपड़ों पर, तो कभी उनके व्यवहार पर उँगली उठायी जाती है।
एक निजी कॉलेज की छात्रा का भी दर्द छलका। उसने कहा- ‘मैं निजी कॉलेज में अन्तिम वर्ष की छात्रा हूँ। कॉलेज बस से आती-जाती हूँ। अभी हफ़्ते भर पहले की बात है। सुबह 10:30 बजे कॉलेज जा रही थी। अजमेरी गेट पर बस ठसाठस भर गयी। मेरे पीछे एक 30-32 साल का आदमी खड़ा था। जैसे ही बस चली। उसने भीड और बस के ब्रेक लगने का फ़ायदा उठाकर मुझे यहाँ-वहाँ छूना शुरू कर दिया। मैंने विरोध किया और कहा कि पीछे हटकर सीधे खड़े रहो। फिर भी वह नहीं माना, बल्कि जवाब दिया कि भीड़ है। वह क्या करे? कहीं जगह नहीं है। मुझे सलाह भी दे दी कि इतनी दिक़्क़त है, तो बस में सफ़र न करूँ। आस-पास खड़े लोग भी इसे सुन और देख रहे थे। किसी ने साथ नहीं दिया।’
एक अन्य छात्रा ने बताया कि ‘क्लास ख़त्म होने के बाद मैं अपनी स्कूटी से घर जा रही थी। राजस्थान विश्वविद्यालय के सामने वो रोड पर एक बाइक पर तीन लड़के मेरे पास से गुज़रे। उन्होंने अचानक मुझ पर हाथ मारा और गंदी टिप्पणियाँ कीं। मैं कुछ समझती उससे पहले वे गंदे इशारे करते हुए निकल गये। मैं बाइक का नंबर भी पूरा नहीं देख पायी। पास ही पुलिस स्टेशन था। वहाँ गयी, तो उन्होंने मामला दर्ज किया; लेकिन उसमें भी बाइक का नंबर माँगते रहे। मैंने अपने साथ हुई पूरा घटना बता दी। पुलिस ने कुछ नहीं किया। कुछ महीने बाद पुलिस ने मुझे ही फोन करके कहा कि आप आकर लिखकर दे दो कि आगे कोई कार्रवाई नहीं चाहतीं। परेशान होकर मैंने लिख दिया।
पीछा, प्यार और हत्या
यह एक चौंकाने वाली घटना है। विष्णु नामक ने गरिमा को सबसे पहले जयपुर के ज्योति नगर में देखा। जयपुर में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा धोलपुर का रहने वाला 20 वर्षीय विष्णु उसे देखते ही लट्टू हो गया। झूंझनू ज़िले के नवलगढ़ की रहने वाली गरिमा की बीएससी फाइनल की छात्रा थी और कानोडिया कॉलेज में रहकर पढ़ाई कर रही थी। विष्णु उसका पीछा करने लगा। उसी बस में सफ़र करने लगा, जिसमें वह जाती थी। पहले तो गरिमा उसके प्रति उदासीन रही; लेकिन जल्दी ही दोनों में प्रेम प्रसंग पनप गया। दो साल से दोनों प्यार की परवाज़ भर रहे थे। एक दिन गरिमा जब आदर्श नगर इलाक़े के वैदिक कॉलेज 10:00 बजे जब परीक्षा देकर बाहर निकली, तो विष्णु ने अपनी जेब से चाक़ू निकालकर गरिमा के गले और हाथ पर वार कर दिया। हमलावर विष्णु ने चाक़ू से उसका गला काट दिया। लहूलुहान हालत में गरिमा सड़क पर गिर गयी। जब हत्यारे विष्णु ने लोगों को अपनी ओर आते देखा, तो जेब से देसी कट्टा (तमंचा) निकाला और गरिमा को तीन गोलियाँ मार दीं।
दरअसल कुछ दिनों से गरिमा ने विष्णु से बातचीत करनी बन्द कर दी थी। गरिमा किसी और को पसन्द कर रही थी। इसी के चलते विष्णु वहशी हो गया और हत्या पर आमादा हो गया। गरिमा के परिजनों का कहना था कि हमें पता ही नहीं चला कि गरिमा किसी प्यार प्रपंच में पड़ गयी है। हमें पता होता, तो हम ऐसा होने ही नहीं देते। गरिमा की बहन उनकी हाँ-में-हाँ मिलाते हुए कहती है कि शायद गरिमा को डर था कि उसकी आज़ादी छिन जाएगी?
अपराध मनोविज्ञानी दिलीप भार्गव कहते हैं- ‘लगातार पीछा करना और लड़की को रिझाने की कोशिश करना, संकेत देता है कि एक बलात्कारी और हत्यारा जन्म ले चुका है। पीछा करने वाले को हत्या करने का कोई अफ़सोस नहीं होता; क्योंकि वो मानता है कि लड़की अगर उसकी नहीं हो पायी, तो वह उसे किसी की नहीं होने देगा।
फेसबुक के इस युग में लगातार पीछा करने के नये और ख़तरनाक आयाम पैदा हो चुके हैं। पीछा करने, घटिया एसएमएस भेजने और देर रात फोन करने के अलावा ठुकराये गये प्रेमी पीडि़ता के फ़र्ज़ी साइबर प्रोफाइल बना देते हैं और उसकी निजी जानकारियाँ शादी के प्रस्ताव के साथ प्रकाशित कर देते हैं। हर रोज़ घटित इस तरह की घटनाओं को समझें, तो कोई महिला सुरक्षित नज़र नहीं आती। सीकर में विदाई की रस्म के दौरान बोखलाये प्रेमी ने दुल्हन बनी लड़की को गोली मार दी। इंद्राज कोमल को पत्र लिखता था कि वह इस अहसास के साथ जीता था कि कोमल उससे प्यार करती है।’
मनोचिकित्सकों का कहना है कि अत्यंत तीव्र भावनाएँ लम्बे समय तक बनी रहती हैं, तो एक सनकी जुनून पैदा कर देती हैं, जो विफलता और हताशा सनक और क्रोध में बदल जाती हैं। देश में एसिड अटेक की बढ़ती घटनाएँ भी इसी सनक का नतीजा हैं। सूत्रों की मानें, तो हर साल देश में लगभग 250 एसिड अटेक के मामले सामने आ रहे हैं। महिलाओं के प्रति ऑनलाइन दुव्र्यवहार ओर उत्पीडऩ की बढ़ती घटनाओं के परिणामस्वरूप लड़कियाँ सोशल मीडिया प्लेटफार्म छोड़ रही हैं। बॉडी शेमिंग और यौन हिंसा के ख़तरों के कारण 30 फ़ीसदी लड़कियों ने सोशल मीडिया से दूरी बना ली है।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि ये हमले शारीरिक नहीं होते। लेकिन ये लड़कियों की अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए ख़तरा होते हैं। सोशल मीडिया पर कपल चैलेंज हैसटैग से 30 लाख से ज़्यादा पोस्ट ने प्राइवेसी के लिए ख़तरा पैदा कर दिया है। जयपुर के साइबर सुरक्षा विषेशज्ञ आयुश भारद्वाज कहते हैं कि इससे इमेज मार्किंग का ख़तरा बन रहा है और यह लड़कियों की सुरक्षा के लिए बेहद ख़तरनाक है।
दहला गया हत्याकांड
राजस्थान में उदयपुर के धान मंडी इलाक़े में रहने वाले एक दर्ज़ी कन्हैयालाल की 28 जून को जिस दरिंदगी से हत्या की गयी, उसने पूरे देश को दहला दिया। हत्या का जो तरी$का अपनाया उसने देश को ग़ुस्से से भर दिया। बाइक पर आये दो मुस्लिम युवकों ने यह हत्या तब की, जब वह उनमें से एक का नाप ले रहा था। हथियार से कन्हैया पर सात वार किये गये, जिससे उसकी मौत हो गयी। भाजपा नेता नुपुर शर्मा के बयान का समर्थन करने को इस हत्या का कारण बताया गया। यही नहीं हत्यारों ने हत्या का वीडियो भी वायरल कर दिया। हत्या के बाद से शहर में तनाव फैल गया। लोग सड़कों पर उतर आये। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से शान्ति बनाये रखने की अपील की और कहा कि हत्या में शामिल दो आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से बात भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोषी को बख़्शा नहीं जाएगा। घटना के बाद एक एएसआई को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया। पूरे राजस्थान में धारा-144 लगायी गयी। हत्या की जाँच के लिए सरकार ने एनआईए टीम भेजी, जिसने जाँच शुरू कर दी, ताकि पता लगाया जा सके कि घटना के पीछे कोई संगठन तो नहीं। कन्हैया के ख़िलाफ़ 10 जून को एक रिपोर्ट दर्ज हुई थी, जिसमें कहा गया था कि पैगंबर मोहम्मद पर जो आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी थी, उसे उसने आगे प्रचारित किया है। उसे बाद में बेल मिल गयी थी और उसने अपनी जान को ख़तरा बताया था। हालाँकि पुलिस के मुताबिक, दोनों पक्षों में समझौता हो गया था। फ़िलहाल मामले की जाँच जारी है।