यूक्रेन और रूस में चल रहे युद्ध के बीच भारत देश में व्यापारियों के बीच शंका और आशंका का अजब सा माहौल देखने को मिल रहा है। कोई व्यापारी कहता है कि युद्ध लंबा चला तो देश में महगांई के सारे रिकार्ड टूट जायेगे। वहीं एक व्यापारी ग्रुप तमाम संभावनाओं को देखते हुये काला बाजारी करने की फिराक में है।
बताते चलें युद्ध के दौरान स्वाभाविक तौर पर कुछ वस्तुओं में महगांई होती है। लेकिन सोशल मीडिया के युग में जिस अंदाज में ये बताया जा रहा है कि पांच राज्यों में चुनाव होने के बाद ही 20 से 25 रूपये डीजल-पेट्रोल के दाम और घरेलू गैस के दाम बढ़ेगे। इससे जरूर एक बडा व्यापारी वर्ग अभी से जमाखोरी करने को बढ़ावा दे रहा है। ताकि विपत्ति के दौर में ज्यादा पैसा कमा सकें।
दिल्ली के व्यापारियों ने तहलका को बताया कि अभी से खाद्य सामानों की जमाखोरी होने लगी है। साथ ही खाने के तेल का स्टॉक अचानक कम होने लगा है। इस मामले सरकार को बाजार में जाकर पता लगाना चाहिये। क्योंकि इसके पीछे कुछ सियासतदाँनों का व्यापारी वर्ग से बड़ा गठजोड़ है। जो सोशल मीडिया के जरिया महगांई का माहौल बना रहा है। जबकि अभी देश में कुछ भी ऐसा असर युद्ध का असर नहीं दिख रहा है।
महगांई का माहौल बनाने के पीछे का मुख्य मकसद ये है कि गरीब और मध्यम वर्ग पहले से ही महगांई को झेलने को तैयार रहे। सूत्रों की माने तो देश के बडे व्यापारियों के माध्यम से नहीं बल्कि इस बार मझोले व्यापारियों के माध्यम से महगांई का बम्ब फोडा जायेगा। फिर स्वयं ही बड़े व्यापारियों के हाथ में कारोबार होगा। दिल्ली के बड़े व्यापारियों ने भारत सरकार से अपील की है कि युद्ध को लेकर जो भारत में माहौल खासकर महगांई को लेकर बनाया जा रहा है। वो ठीक नहीं है। इस पर नजर रखने की जरूरत है। ताकि अफरा-तफरी का माहौल न बन सकें।