पड़ोसी देश म्यांमार में पहली फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद जनता सड़कों पर उतर आई है। लोग चाहते हैं कि देश में लोकतंत्र की तत्काल वापसी हो और उनके चुने हुए नेताओं की तत्काल रिहा किया जाए। सैकड़ों नेताओं की गिरफ्तारी के साथ ही सैन्य शासन ने देश भर में इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी है। विरोध प्रदर्शनों को देखे हुए कई शहरों में कफ्र्यू भी लगा दिया है। इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं हैं। मंगलवार को भी राजधानी यंगून समेत कई शहरों में लोग सड़कों पर उतरकर सेना के खिलाफ प्रदर्शन को उतरे हैं। इससे पहले सोमवार को भी पुलिस और आम लोगों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें सेना ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था।
सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर युवा हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हम अपनी आंखों के सामने लोकतंत्र खत्म होते नहीं देख सकते। हमें कफ्र्यू की कोई परवाह नहीं, देश में किसी भी लोकतंत्र वापस चाहिए।बता दें कि म्यांमार में पहली फरवरी को तख्तापलट के बाद सेना ने 5 फरवरी को देश के किसी भी हिस्से में लोगों के जुटने या रैली करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद विरोध और तेज होता गया। लोग फेसबुक और ट्विटर जैसी साइट के जरिये अभियान चलाने लगे।
इसेक बाद सेना ने फेसबुक पर पाबंदी लगा दी। जिससे ज्यादातर लोग ट्विटर पर एक्टिव हो गए। फिर सैन्य शासन ने देश में ट्विटर और इंस्टाग्रामू पर भी रोक लगा दी। इसके बाद तो इंटरनेट पर ही पाबंदी लगा दी गई। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका समेत ज्यादातर देशों ने लोकतंत्र की वापसी की उम्मीद जताई है। इतना ही नहीं, सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से बात की। इस वार्ता में भी म्यांमार पर चर्चा की गई।