चक्र सुदर्शन
यमुना लाखों वर्ष से, थी जीवन की डोर, लहराती हरियालियां, खुशहाली चहुं ओर. खुशहाली चहुं ओर, हो गई अब विध्वंसी, मछली तक मर जांय, मौन कान्हा की बंसी. चक्र सुदर्शन, कंसों ने वो कचरा डाला, यमुना मैया, तुझको बना दिया यमुनाला. अशोक चक्रधर |