गुरुग्राम में इमारत ढहने से साबित हुआ कि यहाँ के सरकारी भवन भी असुरक्षित हैं
हाउसिंग सेक्टर किस ओर जा रहा है? ये केवल निजी बिल्डर नहीं हैं, जो लोगों को बहका रहे हैं और उनके जीवन भर की बचत से जोड़ी पूँजी को ठग रहे हैं। अब सरकार की अपनी नवरत्न कम्पनी एनबीसीसी कमोवेश इसी तरह से ख़राब साबित हुई है। गुरुग्राम (गुडग़ाँव) में 18 मंज़िला चिन्टेल्स पैराडाइसो इमारत के एक हिस्से के गिरने से दो लोगों की मौत के बाद अब गुरुग्राम में एनबीसीसी की ग्रीन व्यू सोसायटी को असुरक्षित घोषित करने की बारी है।
इस घटना के बाद सैकड़ों मकान मालिक 20 फरवरी को अनशन पर बैठे और विरोध मार्च निकाला, जिसमें चिन्टेल्स पारदीसो हाउसिंग सोसायटी के निवासियों के लिए न्याय की माँग की गयी। वहाँ 10 फरवरी को एक इमारत की कई छतें गिर गयी थीं, जिसमें दो महिलाओं की मौत हो गयी थी। महिलाओं की मौत के अलावा कई अन्य लोग मलबे के नीचे फँस गये थे। जब 18 मंज़िला चिन्टेल्स पारदीसो इमारत की छठी मंज़िल के अपार्टमेंट का फ़र्श बैठ गया और मलबा ठीक बाद की मंज़िलों से लेकर इमारत की पहली मंज़िल तक फैल गया, उसमें चार लोग फँस गये। यह पहली और दूसरी मंज़िल पर रहने वाले दो परिवारों के सदस्य थे।
एनबीसीसी भवन भी असुरक्षित
हालाँकि चिन्टेल्स पारदीसो पर पूरा ध्यान केंद्रित किया गया था। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने हाल में सेक्टर-37 (डी) में एनबीसीसी-ग्रीन व्यू के निवासियों को 01 मार्च तक ख़ाली करने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया कि आवासीय परिसर अब रहने के लिए सुरक्षित नहीं है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया एनबीसीसी के डेवलपर को निवासियों को वैकल्पिक आवास प्रदान करना चाहिए, जब तक वे भवन की मरम्मत और परिवहन, स्थानांतरण और किराये की लागत वहन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सामने आया है कि ग़लती एनबीसीसी और ठेकेदार की है। उन्होंने कहा कि भवन की संरचना के सम्बन्ध में आईआईटी दिल्ली द्वारा दी गयी रिपोर्ट को निवासियों के साथ साझा किया जाएगा। केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) और आईआईटी रुडक़ी के चार सदस्यों वाली दूसरी विशेषज्ञ समिति भी जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी।
डीसी ने ख़ुलासा किया कि उन्होंने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी), जो भारत सरकार का एक उद्यम है; को निर्देश दिया है कि वह उन सभी घर ख़रीदारों को पैसा वापस करें, जो समाज में नहीं रहना चाहते हैं; ताकि वे नयी सम्पत्ति ख़ुरीद सकें। ज़िला नगर योजनाकार और अन्य विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार, भवन निवासियों के लिए सुरक्षित नहीं है। आवासीय परिसर में फ़िलहाल 140 परिवार रहते हैं। एनबीसीसी-ग्रीन व्यू अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आर. मोहंती ने कहा कि एनबीसीसी-ग्रीन व्यू हाउसिंग कॉम्प्लेक्स मई, 2017 में पूरा हो गया था और इमारत में दरारें अगले ही साल से दिखायी देने लगीं। उन्होंने कहा कि वह पिछले चार साल से फ्लैट्स की संरचनात्मक सुरक्षा के मुद्दों को उठा रहे हैं; लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। यह चौंकाने वाली बात है कि 700-800 फ्लैट वाली सोसायटी चार से पाँच साल में कैसे बिगड़ सकती है?
एनबीसीसी-ग्रीन व्यू अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन के महासचिव रणधीर सिंह ने कहा कि वह मरम्मत किये गये अपार्टमेंट नहीं लेना चाहते हैं और डेवलपर से मिलने वाले रिफंड के साथ नयी सम्पत्तियों का विकल्प चुनेंगे। एनबीसीसी के अध्यक्ष और प्रबन्ध निदेशक पी.के. गुप्ता ने कहा कि निगम पूरी ज़िम्मेदारी लेगा; क्योंकि फ्लैटों का निर्माण उनके द्वारा किया गया है।
चिन्टेल्स पारदीसो की हालत
इस मामले में ज़िला टाउन एंड कंट्री प्लानर ने चिन्टेल्स पारदीसो-ई, एफ, जी, और एच में चार और टॉवरों को रहने के लिए अनुपयुक्त घोषित किया है। इसने उन परिवारों को स्थानांतरित करने के लिए सेक्टर-109 में चिन्टेल्स पारदीसो के चार टॉवरों में 40 अपार्टमेंट की मरम्मत और नवीनीकरण शुरू कर दिया है, जिनके अपार्टमेंट टॉवर-डी में कई छतें गिरने से क्षतिग्रस्त हो गये थे। अब निवासियों ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) से गहन जाँच की माँग की है और अधिकारियों से दु:खद घटना के लिए ज़िम्मेदार डेवलपर और अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। उन्होंने चिन्टेल्स इंडिया लिमिटेड के प्रमोटरों और निदेशकों और अपार्टमेंट के लिए अधिभोग प्रमाण-पत्र जारी करने वाले सरकारी अधिकारियों की तत्काल गिरफ़्तारी की भी माँग की है।
चिंटेल्स पैराडाइसो सोसायटी की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश हुड्डा ने आरोप लगाया कि पुलिस प्राथमिकी में धाराओं के साथ नरमी बरत रही है। उन पर हत्या का मामला दर्ज की जाए और स्वतंत्र जाँच हो। हालाँकि यह पता चला है कि पुलिस अभी भी शहर और विभाग द्वारा संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट जारी करने की प्रतीक्षा कर रही है, जो दुर्घटना के कारणों का ख़ुलासा करेगी। इसके बाद ही क़ानून के अनुसार कार्रवाई करेगी। इसने क्षतिग्रस्त संरचना से नमूने एकत्र किये हैं और उन्हें मधुबन में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेज दिया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने निर्माण के दौरान डिजाइन या कारीगरी में दोषों का पता लगाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली द्वारा गुरुग्राम के सेक्टर-109 में चिंटेल पारदीसो ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रभावित टॉवर का संरचनात्मक ऑडिट करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आसपास की कुछ अन्य ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज में भी प्रारम्भिक चरण में संरचनात्मक क्षति के लक्षण दिखाये थे और नगर और ग्राम नियोजन विभाग को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या किसी अन्य से प्राप्त शिकायतों के आधार पर इन भवनों की पहचान करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को इस टॉवर के सभी प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक अस्थायी आवास उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है; क्योंकि वह वहाँ रहने से डरते हैं।
मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को चिनटेल्स इंडिया लिमिटेड के सभी निदेशकों, चिंटेल्स एक्सपोट्र्स प्राइवेट लिमिटेड, आवासीय टॉवर का निर्माण करने वाले स्ट्रक्करल इंजीनियरों, आर्किटेक्ट्स और ठेकेदारों, जिन्होंने छठी मंज़िल पर अतिरिक्त निर्माण कार्य किया; के ख़िलाफ़ कार्रवाई करे। पुलिस को तत्काल प्रभाव से प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया है। यह भी पता चला कि सरकार ने अब सैद्धांतिक रूप से निर्णय किया है कि नगर और ग्राम आयोजना विभाग के बिल्डरों की तरफ़ से नियुक्त स्ट्रक्चरल इंजीनियरों के अलावा सरकारी संस्थानों या उनके पैनल में शामिल स्ट्रक्चरल इंजीनियरों से स्ट्रक्चरल ऑडिट भी कराया जाना चाहिए। यह सब व्यवसाय प्रमाण-पत्र देने से पहले किया जाना चाहिए।
सम्बन्धित विभाग की उदासीनता
ऐसे ही एक घटनाक्रम में हरियाणा हाउसिंग बोर्ड को अपने कामकाज में लापरवाही करने के लिए फटकार लगाते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मुख्य प्रशासक को तलब किया। उन्हें एक मामले में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया था, जिसमें एक पूर्व सैनिक ने देश के लिए किये गये अनुकरणीय बलिदानों के लिए आभार के प्रतीक के रूप में जारी एक योजना में आवास इकाई के आवंटन के लिए लगभग सात साल पहले आवश्यक राशि जमा की थी। बाद में बताया गया कि क्षेत्र में फ्लैट बनाने की कोई योजना नहीं थी। मामले को और बदतर बनाते हुए हाउसिंग बोर्ड ने ज़ोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता-पूर्व सैनिक को जमा राशि के 10 फ़ीसदी की ही अनुमति दी जाएगी, जिसके बाद उच्च न्यायालय को कहना पड़ा कि वह बोर्ड के इस स्टैंड पर स्तब्ध है। न्यायमूर्ति तेजिंदर सिंह ढींडसा और न्यायमूर्ति ललित बत्रा की खण्डपीठ ने कहा कि यह एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि इसी तरह की शिकायतों को उठाने वाली जनहित याचिकाओं का एक समूह अदालत के समक्ष लम्बित था।
राज पाल सिंह गहलौत द्वारा हाउसिंग बोर्ड और एक अन्य प्रतिवादी के ख़िलाफ़ वकील विवेक खत्री के माध्यम से याचिका दायर के बाद मामला उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया गया। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि कुछ भी नहीं हुआ और याचिकाकर्ता न्याय पाने के लिए भटक रहा था। यहाँ तक कि प्रतिवादियों को एक क़ानूनी नोटिस भी दिया, जिसमें जमा राशि की वापसी की माँग की गयी थी। मामले की पृष्ठभूमि में जाने पर पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता दिसंबर, 2014 में फ़रीदाबाद के सेक्टर-65 में एक फ्लैट के आवंटन के लिए ड्रॉ में सफल रहा और मार्च, 2015 में 4,89,270 रुपये जमा किये। पीठ ने याचिका में स्पष्ट कथनों पर भी ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता पूर्व सैनिक ने धन जुटाने के लिए ऋण के लिए आवेदन किया था और ऋण चुकाने के लिए नियमित ईएमआई का भुगतान कर रहा था। अदालत ने कहा कि यह हाउसिंग बोर्ड है, जिसने इस मामले में लापरवाही की है। जहाँ तक सेक्टर-65, फ़रीदाबाद का सम्बन्ध है, अब तक इस परियोजना को ज़मीन पर उतारने की कोई योजना नहीं है।
जोखिम भरा क्षेत्र
विशेषज्ञों के अनुसार, गुरुग्राम दिल्ली की तुलना में अधिक जोखिम में है। क्योंकि दिल्ली तीन सक्रिय भूकम्पीय फॉल्ट लाइनों की रेंज में पड़ता है। गुरुग्राम रेंज-7 पर बैठता है, जिससे यह एनसीआर में सबसे जोखिम भरा क्षेत्र बन जाता है। यदि इनमें से कोई भी सक्रिय हो जाता है, तो यह 7.5 तीव्रता तक के भूकम्प का कारण बन सकता है। साल 2015 में जब बार-बार झटकों ने गगनचुंबी इमारतों में रहने वालों में दहशत पैदा कर दी थी, तब प्रशासन ने सुरक्षा ऑडिट का आदेश दिया था। योजना कभी भी अमल में नहीं आयी। हालाँकि यह निर्णय किया गया कि प्रत्येक बिल्डर भूकम्प सुरक्षा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि भवन आपदा प्रबन्धन जनादेश के अनुसार बनाया जा रहा है।
हालाँकि यह कभी नहीं हुआ। यह 2020 की बात है, जब दिल्ली एनसीआर में तीन महीने में 17 भूकम्प आये थे। पूरा शहर भूकम्पीय क्षेत्र-4 के अंतर्गत आता है। कई सामान्य फॉल्ट गुरुग्राम से होकर गुज़रते हैं।
इस ज़िले में प्रमुख विशेषताओं में सोहना फॉल्ट, मुरादाबाद फॉल्ट, दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट, दिल्ली-हरिद्वार फॉल्ट, दिल्ली के पास अरावली और जलोढ़ का जंक्शन शामिल हैं। सिस्मिक जोन-4 में होने के कारण सन् 2020 में इस सम्बन्ध में अनिवार्य रूप से किसी स्ट्रक्चरल इंजीनियर से परामर्श करने की एडवाइजरी जारी की गयी थी; लेकिन हुआ कुछ नहीं।