मोबाईल फोन और बैंक खातों को फिर से आधार से जोड़ने की सुविधा होगी। मगर यह क़दम अनिवार्य नहीं स्वैच्छिक होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसके लिए दो कानूनों बैंकिंग एक्ट एवं प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन के मसौदे को मंजूरी दी।
आधार कानून में संशोधन कर सरकार ग्राहकों के लिए इन सेवाओं में आधार का इस्तेमाल वैकल्पिक कर रही है।
यदि ग्राहक चाहे तो वह बैंकों और मोबाइल सिम के ईकेवाइसी के लिए आधार का इस्तेमाल कर सकता है।
ख़बरों के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इस आशय के एक प्रस्ताव पर सोमवार को मुहर लगा दी।
सरकार औपचारिक तौर पर इसकी घोषणा संसद में करेगी। सरकार अब इस आशय का विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश कर सकती है।
प्रस्ताव के मुताबिक इसके लिए प्रिवेन्शन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) और टेलीग्राफ एक्ट में भी संशोधन करेगी। संशोधन के बाद पीएमएलए के तहत आधार को वैध दस्तावेज की मान्यता मिल जाएगी।
संसद से कानून बन जाने के बाद लोगों के पास बैंक खातों और मोबाइल सिम खरीदने के लिए आधार के इस्तेमाल का विकल्प भी होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने ने हाल में आधार पर दिए फैसले में आधार एक्ट की धारा 57 के तहत मोबाइल और बैंक खाते के लिए आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। इन दो कानूनों में बदलाव करके अब इस कानूनी कमी को दूर किया जाएगा।
फैसले के बाद न केवल वित्त मंत्री अरुण जेटली बल्कि कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा भी था कि बैंक या मोबाइल कंपनियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन सुनिश्चित कराने के लिए सरकार कानून में बदलाव भी करेगी। सरकार इस संशोधन को शीतकालीन सत्र में ही पारित कराना चाहती है।
सरकार ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बाद हो रही असुविधा को ध्यान में रखते हुए लिया है। लेकिन यह पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा। मोबाईल फोन और बैंक खाते के लिए आधार की अनिवार्यता नहीं होगी।
इसके अलावा आधार ऐक्ट में भी दो बदलाव किए हैं। पहला 18 साल की उम्र में लोगों को आधार छोड़ने का विकल्प दिया जाएगा। दूसरा, आधार की वजह से किसी सेवा से इनकार करने की मनाही होगी। ऐसा करने वाले के लिए दंड का प्रावधान होगा। सरकार की कोशिश इसी सत्र में संबंधित विधेयक लाने की होगी।