भारतीय जनता पार्टी की मार्गदर्शक, मित्र और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अपना स्थापना दिवस विजयादशमी पर मनाया। लोकसभा में जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपनी ऐतिहासिक जीत विधान सभाओं में भी हासिल की। इस बात के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने उनसे यह भी कहा कि वे किसानों और छोटे उद्योगों को भी ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि छोटे और मझोले उद्योगों, स्वरोज़गार मुहैया करने वाले कुटीर उद्योग और खेती -किसानी को नुकसान न पहुंचे।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ‘संवेदनशीलता और चुस्ती दिखाने पर जोर देने की प्रशासन को सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रशासन को खुद ही आखिरी आदमी तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में अर्थव्यवस्था में खासा सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसा मॉडल बनाया जाना चाहिए जो भारत के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक हालात पर केंद्रित हो। रोज़गार का मतलब होता है हर हाथ को काम और बदले में मेहनताना।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के पर्व पर कहा कि इन्ही कुटीर उद्योगों मसलन हस्तशिल्प, छोटे और मझोले उद्योगों यानी कढ़ाई बुनाई दरी-कालीन,सूत रंगाई, साड़ी आदि बनाने वालों छोटे उद्योगों से जुड़े लोगों ने सर्वाधिक योगदान किया है। इन क्षेत्रों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है, और जो लोग समाज में आखिरी कतार में खड़े हैं वे भी इन्ही क्षेत्रों के हैं।
संघ प्रमुख ने लगभग चेतावनी देते हुए कहा कि यह सही है कि कुछ अस्थिरता और कंपन होंगे लेकिन दिमाग में हमेशा यह बात ध्यान मेेें रहनी चाहिए कि इन क्षेत्रों को कम से कम नुकसान हो और इन लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा मजबूती हासिल हो।
उन्होंने कहा कि कृषि उपज की कीमत उत्पाद में लगने वाली कीमत पर आधारित होनी चाहिए। इससे किसान प्रकृति की नाराजगी और बाज़ार में कीमतों के उतार-चढ़ाव को भी झेल लेगा। उन्होंने कहा कि सभी को इन कीमतों को बिना किसी विरोध के स्वीकार करना चाहिए।
भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि डोकलाम जैसे सीमाई मुद्दों पर जो मजबूत रुख रखा गया उससे भारत की छवि सुधरी है। कश्मीर मुद्दे पर उन्होंने कहा ‘ऐसी नई व्यवस्थाएं की जाएं कि घाटी के लोग भारत के साथ अपनापन महसूस कर सकें। अलगाववादियों के साथ मजबूती से पेश आने और उन्हें मिलने वाली धन राशि के आने पर सख्ती की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों का दिलो-दिमाग भी शेेष भारत के लोगों से मेल खाना चाहिए। यदि ज़रूरत हो तो इसके लिए कुछ पुरानी व्यवस्थाएं बदली जाएं और नई अमल में लाएं। यह तभी हो सकेगा जब सरकार, प्रशासन और समाज एक साथ मिल कर काम करें। कश्मीर समस्या बहुत जल्दी हल होगी।
स्ंाघ प्रमुख ने इस बात पर अफसोस जताया कि अब तक कश्मीरी पंडितों को पुनर्वास नहीं हो सका है और जम्मू,कश्मीर और लद्दाख के तीनों क्षेत्रों में बराबरी का विकास भी नहीं हुआ है।
उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देने की मांग का जमकर विरोध किया। उन्हें म्यांमार से उनके हिंसक अपराधिक रवैए के कारण हटाया गया। उनके ताल्लुकात आतंकवादी संगठनों से रहे हैं। यदि उन्हें शरण दी तो यह बात भी दिमाग में रखनी चाहिए कि वे आगे भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
गाय की सुरक्षा और देखरेख पर जोर देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि यह बात देश के संविधान में भी लिखी हुई हैं। उन्होंने कहा जो शब्दों से खिलवाड़ कर रहे हैं मसलन गौरक्षक दल वगैरह-वगैरह जिसके चलते गौ संरक्षण कीे कोशिश राक्षसी रूप लेती नज़र आती है। यह गलत है। कुछ लोग इसे भाषा में विवादी रूप बना देते हैं। यह भी गलत है कि गौरक्षकों या गौ सुरक्षा की सारी गतिविधि को हिंसक घटनाओं या सांप्रदायिक सोच से जोड़ कर देखा जाए। गौ रक्षकों को जो इस काम में पूरी पवित्रता से जुड़े हैं उन्हें सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के बयानों से अपना काम छोडऩे की ज़रूरत नहीं है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से भी घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा बहुत से गौ सेवक जो शांति से गौ रक्षा के काम में लगे थे उन पर हमले किए गए और उन्हें मार डाला गया। इस मुद्दे की न तो छानबीन हो रही है और न कोई बातचीत।
संघ प्रमुख ने मांग की कि सैनिकों को ज़्यादा से ज़्यादा आधुनिक हथियार दिए जाएं। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को भारतीय सेनाओं में भेजें।