आज से २७ साल पहले कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार की तरह नरेंद्र मोदी की सरकार ने सोमवार को लोक सभा चुनाव में अपनी ज़मीन पक्की करने के इरादे से आर्थिक रूप से कमजोर स्वर्णों को सरकारी नौकरियों में १० फीसदी आरक्षण का फैसला किया है। याद रहे १९९१ में नरसिंम्हा भी ऐसा ही फैसला किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था और कहा था कि गरीबी आरक्षण का आधार नहीं हो सकती।
सोमवार को मंत्रिमंडल ने एक बैठक में गरीब स्वर्णों को यह आरक्षण सरकारी नौकरी में देने को मंजूरी दी। पिछले साल मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में जो संशोधन किया था उससे स्वर्णों में नाराजगी मानी जा रही है।
भाजपा तीन राज्यों में चुनाव हरने के बाद वैसे हे बैकफुट पर दिख रही है लिहाजा उसने अब स्वर्णों को यह आरक्षण देने की तुरुप चली है। देखना होगा कि कानूनी रूप से क्या पक्ष सामने आता है।
एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के बाद देश के कई हिस्सों में सवर्णों ने इसका विरोध करने के लिए प्रदर्शन किये थे। भाजपा महसूस कर रही है कि इससे स्वर्णों में उसके प्रति नाराजगी फ़ैली है। दलित पिछड़े वर्ग वैसे से नाराज दिख रहे हैं। लिहाजा मोदी सरकार ने अब स्वर्णों को नौकरियों में १० फीसदी फीसदी आरक्षण का दांव चला है।