पिता रामविलास पासवान की मौत के कुछ ही महीनों बाद बेटे चिराग पासवान बिहार की राजनीति में अकेले पड़ते दिख रहे हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 6 सीटें जीतने वाली उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) लगभग टूट गयी है। पार्टी के 5 सांसद चिराग के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में उनसे बागी हो गए हैं और खुद को असली एलजेपी बताया है। अब से कुछ पहले चिराग पशुपति से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं ताकि उन्हें मनाया जा सके, लेकिन चाचा मुलाकात अभी नहीं हुई है। यह सारी कवायद जल्दी ही मोदी मंत्रिमंडल में होने वाले फेरबदल/विस्तार का हिस्सा दिखती है, क्योंकि पशुपति ने कहा है कि वे एनडीए के साथ थे और हमेशा रहेंगे। उनके ब्यान से संकेत मिलता है कि चिराग से बगावत के बाद पशुपति के मोदी सरकार में मंत्री बनने की संभावना बनी है।
दिलचस्प बात यह है कि चाचा ने भतीजे चिराग को पार्टी संसदीय दल से हटा देने की बात कही है। इसके बाद जब चिराग दिल्ली में चाचा पशुपति पारस से मिलने उनके सरकारी आवास पहुंचे तो चाचा उन्हें मिलने से कन्नी काट गए हैं। चिराग पिछले आधा घंटा से पशुपति के घर के बाहर पार्किंग में कार में ही बैठे हैं। बताया गया है कि पशुपति ”घर पर नहीं” हैं। दिलचस्प यह है कि बागियों ने लोकसभा सचिवालय को एलजेपी के 5 सांसदों के हस्ताक्षर सहित बताया है कि अब पशुपति पारस उनके नेता हैं।
बिहार की राजनीति एलजेपी में इस टूट से गरमा गयी है। विधानसभा चुनाव में चिराग के नेतृत्व में एलजेपी का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा था। पिछले कुछ समय से चिराग के कामकाज को लेकर एलजेपी के सांसद और अन्य नेता सवाल खड़े कर रहे थे, हालांकि, वे मुखर नहीं थे। अब अचानक एलजेपी में टूट की खबर आई है।
जो पांच सांसद चिराग पासवान से बगावत कर रहे हैं उनमें नवादा से चंदन कुमार, समस्तीपुर से प्रिंस पासवान, खगड़िया से महबूब अली कैसर और वैशाली से वीणा देवी शामिल हैं जिनका नेतृत्व चिराग के चाचा पशुपति पारस कर रहे हैं।
यह माना जा रहा है कि एलजेपी की टूट के पीछे भाजपा हो सकती है और वह पशुपति को मोदी सरकार में मंत्री बना सकती है। मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल/विस्तार की ख़बरें तेज हैं और जल्दी ही यह हो सकता है। हाल में उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दलों के नेताओं अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के संजय कुमार निषाद और प्रवीण कुमार निषाद ने दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी जिसे मंत्रिमंडल में विस्तार के आधार पर देखा जा रहा है।
यदि देखें तो मोदी सरकार में आज 60 मंत्री हैं। मंत्रिमंडल में नियमों के मुताबिक अधिकतम 79 मंत्री हो। अभी कुछ मंत्रियों के पास एक से ज्यादा विभाग हैं। सरकार में पीएम मोदी के अलावा 21 केबिनेट, 9 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और 29 राज्य मंत्री हैं।
अब कांग्रेस से भाजपा में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया, असम के मुख्यमंत्री पद से हटाए गए (चुनाव के बाद) सर्वानंद सोनोवाल, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी आदि प्रमुख नाम हैं जिन्हें मंत्री बनाने की चर्चा है। सिंधिया के कांग्रेस से उनके साथ भाजपा में आये समर्थकों ने तो अपने क्षेत्र में अभी से यह दावा करना शुरू कर दिया है कि उनके नेता ज्योतिरादित्य मंत्री बन रहे हैं। सहयोगी दलों में मोदी सरकार में सिर्फ एक रिपब्लिकन पार्टी के रामदास आठवले राज्य मंत्री हैं।