मोदी की यात्रा से तय होगा भारत और अमेरिका के रिश्तों का भविष्य

रूस और अमेरिका के बीच संतुलन साधने की कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा काफी महत्त्वपूर्ण साबित होने वाली है। मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका की राजकीय यात्रा पर रहेंगे। माना जाता है कि अमेरिका मोदी की यात्रा को काफी महत्त्व देने की कोशिश में है, ताकि उसे रूस से दूर रखा जा सके। इसके अलावा दोनों पक्ष दीर्घकालीन द्विपक्षीय सम्बन्धों की रूपरेखा तय करने वाले दस्तावेज़ों पर भी काम कर रहे हैं।

बाइडेन और मोदी ने पिछले साल मई में उभरती हुई प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) सम्बन्धी अमेरिका-भारत पहल की घोषणा की थी। मक़सद दोनों देशों की सरकारों, व्यवसायों और शिक्षण संस्थानों के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग बढ़ाना और विस्तार देना था। संयुक्त बयान का जो मसौदा तैयार किया जा रहा है, कहा जाता है कि उसमें उन मुद्दों का ज़िक्र होगा, जो भारत-अमेरिका साझेदारी को आगे बढ़ाएँगे। इनमें प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और रक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। जानकारों के मुताबिक, इस सम्बन्ध में अंतिम फैसला दोनों नेता 22 जून को करेंगे। मोदी की इस यात्रा के परिणाम स्वरूप दोनों देशों के सम्बन्ध आगे बढऩे की उम्मीद है। हाल के महीनों में यह देखा गया है कि रूस के साथ भारत की बढ़ती दोस्ती के चलते अमेरिका में तनाव रहा है। अमेरिकी अधिकारी बीच-बीच में भारत को इसके लिए अपने अंदाज़ में चेताते भी रहे हैं। अमेरिकी कम्पनियाँ भारत को एक बड़े बाज़ार के रूप में देखती हैं। लिहाज़ा दोनों देशों को आपूर्ति शृंखला क्षेत्र सहित आपसी सम्बन्धों के दो विश्वसनीय भागीदारों के रूप में देखा जा रहा है।

खास बात अमेरिकी प्रौद्योगिकी के साथ बड़े पैमाने पर और रियायती कीमतों पर उत्पादन करने की क्षमता है। ऐसे में मोदी की इस यात्रा के फलस्वरूप दोनों देशों के बीच भरोसे का एक नया स्तर बनने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मोदी को राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडन ने आधिकारिक राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया है। इसमें 22 जून को राजकीय रात्रिभोज भी शामिल होगा। दोनों देशों की राजधानियों में इस यात्रा की तैयारियाँ ज़ोरों से चल रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन अपने भारतीय समकक्ष अजित डोवल के साथ दूसरे दौर की आईसीईटी वार्ता के लिए दिल्ली आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भाग लेने के बाद न्यूयॉर्क से वाशिंगटन रवाना होंगे। बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी व्हाइट हाउस के सामने पार्क में और अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक गेस्ट हाउस ब्लेयर हाउस के पास एक मेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी 23 जून को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। मोदी दूसरी बार अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करेंगे और वह इजराइल के बाहर तीसरे विश्व नेता होंगे, जिन्होंने दो बार अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया हो। व्हाइट हाउस हिस्टोरिकल एसोसिएशन के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति का किसी भारतीय नेता के लिए आयोजित 11वाँ राजकीय रात्रिभोज होगा और पिछले 75 साल में केवल दो भारतीय नेताओं को आधिकारिक राजकीय यात्रा का सम्मान दिया गया है। उनसे पहले जून,1963 में राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन और नवंबर, 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा को राजकीय यात्रा का दर्जा दिया गया था। दोनों देशों के नेता कह रहे हैं कि भारत-अमेरिका सम्बन्ध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि शेष विश्व के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। जानकारों के मुताबिक, सभी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री मोदी की राय शामिल होने की संभावना है। उनका •ाोर इस बात पर है कि इन्हें लोगों के विकास और कल्याण से जोड़ा जाना चाहिए।

राहुल की अमेरिका यात्रा

एक ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका जा रहे हैं, उनसे कुछ समय पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गाँधी अमेरिका में हैं। उनके दौरे के दौरान उनकी अमेरिका के राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाइट हाउस जाने की जानकारी ने काफी सुर्िखयाँ बटोरी हैं। इसमें एक गोपनीय बैठक (सीक्रेट मीटिंग) की बात भी सामने आयी थी।

कहा गया है कि राहुल गाँधी की यह गोपनीय बैठक व्हाइट हाउस के भीतर हुई। मीटिंग के व$क्त राहुल के साथ कौन-कौन मौजूद था? इस पर कोई सही जानकारी सामने नहीं आयी है। हालाँकि अमेरिकी अखबार ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ ने दावा किया था कि गाँधी की मुलाकात डोनाल्ड लू से हुई थी। खुद कांग्रेस और राहुल गाँधी ने इसकी कभी पुष्टि नहीं की। इसके अलावा राहुल गाँधी कई अन्य ग्रुप्स और छात्रों से भी मिले और विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने यात्रा में मीडिया को भी सम्बोधित किया था। राहुल की अमेरिका यात्रा को काफी चर्चा मिली थी।