पिछले सप्ताह में जयापुर (वाराणसी संसदीय क्षेत्र) गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन गांवों को विकसित करने के लिए गोद लिया। उसमें यह एक है। जब तीन साल पहले मैं गई थी तो यह किसी भी दूसरे छोटे गांव सा था। तब इस गांव को आने वाली मुख्य सड़क बन रही थी। एक बैंक भी एटीएम के साथ खुल गया था।
मैं अब की बार जब गई जयापुर तो मैंने देखा कि वह सड़क पक्की हो गई है और एक और बैंक खुल गया है। रास्ते में आते हुए मैंने महसूस किया कि दूसरे गांवों की तुलना में यह बेहतर है। वाराणसी से आते हुए मैंने रास्तें में ‘स्वच्छ भारत’ के कई संकेत देखे जिससे लगा कि इसका भी असर रहा है। नालियां भी थीं लेकिन उनमें पॉलिथिन नहीं थी। सड़ांध नहीं थी।
जयपुर के प्रधान श्री नारायण पटेल एक बड़े दो मंजि़ले मकान में रहते हैं। मैंने उनसे पूछा कि जब से मोदी ने इस गांव को गोद में लिया। क्या बदलाव गांव में हुए। उन्होंने कहा, अरे पूरा गांव एकदम बदल गया है। यहां अब दो बैंक हैं। एक पोस्ट ऑफिस है। घर-घर पीने का पानी नल की टोंटी से हमेशा आता है। 22 घंटे बिजली है। हर घर में शौचालय है। विकास यहां थमा नहीं है वह दिन दूना-रात चौगुना हो रहा है। गांव में और भी पक्की सड़कें बन रही हैं।
मैंने गांव के दूसरे लोगों से भी बातचीत की। लेकिन मैंने कभी हिंदुत्व शब्द नहीं सुना। जबकि ट्विटर पर हिंदुत्व कहीं ज्य़ादा है बनिस्वत ग्रामीण भारत के जिन्होंने मोदी को फिर जिताने का मन बनाया भी है वह विकास के ही लिए।
शहरों में मुझे ज्य़ादा ऐसे लोग मिलते हैं जो मोदी का इसलिए विरोध करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें उन्होंने नीचा दिखाया है। मैं उन व्यापारियों, छोटे व्यापारियों से मिलीं जिन्होंने नोटबंदी और जीएसटी के कारण मोदी के प्रति अपनी नाराज़गी जताई। एक जौहरी ने तो कहा, इस बार तो मैं उन्हें वोट देने को नहीं हूं क्योंकि पिछले पांच महीने में मैंने काफी घाटा कमाया है। यदि ये या इनके सहयोगी दल सत्ता में फिर आ गए तो मैं देश छोड़ दूंगा।
कई ऐसे भी हैं जिनमें मोदी के प्रति एक उत्साह जगा था। लेकिन अब उनकी निराशा ज्य़ादा आर्थिक की है। विश्व बैंक भारत की रैंकिंग कुछ भी करें क्योंकि उसे तो ऐसे देश की ज़रूरत है जहां व्यापार किया जा सकता है। लेकिन असलियत यह है कि सब कुछ खत्म हो गया है। हालांकि मोदी को यह सुनना अच्छा लगता है कि वे मोदी के काम से संतुष्ट नहीं हैं। फिर ऐसे लोग है जो रोज मोदी मंत्रपाठ समूह में करते हैं और कहते है कि वे मोदी को इसलिए नापसंद करते हैं क्योंकि उनकी जि़ंदगी में पिछले पांच साल में कोई बदलाव नहीं आया।
मुस्लिमों में ज़रूर अपवाद है। अपनी यात्राओं में मैंने उसे समझने की कोशिश ज़रूर की एक आदमी ने कहा कि यदि मोदी फिर जीतते हैं तो जल्दी ही वे हिंदू राष्ट्र बना देंगे। इसमें वे ऐसे नागरिक बन जाएंगे जिन्हें कोई खास सुविधा नहीं होगी। पिछले सप्ताह भाजपा अध्यक्ष ने इस बात की तस्दीक करते हुए कहा भी था कि ‘घुसपैठियों’ में मुसलमानों को मत आने दो सिर्फ हिंदुओं को ही लो, सिखों और बौद्धों को लो। मैंने जब इस बात ट्वीट किया और जानना चाहा कि इसका मतलब क्या है उन्हें यह बताना चाहिए। तो मेरा विरोध मोदी समर्थकों और विरोधियों दोनों ने ही किया।
ट्विटर आज कल हिंदुत्व के योद्धाओं और हिंदुत्व के विरोधियों का रणक्षेत्र बना हुआ है। किसी भी जाति या वर्ग के वे हों। जबकि असली भारत में ज्य़ादा महत्वपूर्ण हैं आर्थिक मुद्दे। भारतीय मतदाता की इच्छा आर्थिक प्रगति की है। हो सकता है एक दिन ऐसा भी आए जब चुनाव में जाति और वर्ग की बात न हो। अपनी यात्राओं में मेरी भेंट किसी ऐसे व्यक्ति से नहीं हुई जो यह कहे कि मोदी की लोकप्रियता की वजह हिंदुत्व है।
तवलीन सिंह
साभार: इंडियन एक्सप्रेस