महागठबंधन समेत देश के विपक्षी दल एनडीए का पुख्ता विकल्प नहीं दे पाए। इस कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को भारी बहुमत प्राप्त हो गया। विपक्ष को भारी झटका लगा और ऐसा ही हुआ राहुल गांधी, ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडु और मायावती के साथ जो खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल समझ रहे थे। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ध्वस्त हो गई जहां वह मात्र छह महीने पहले सत्ता में आई थी। उसकी साख केवल पंजाब, केरल और तमिलनाडु में बची। मोदी की सुनामी इतनी तीव्र थी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी की वह सीट भी हार गए जहां उनके परिवार का वर्चस्व रहा था। 2019 के परिणामों में राष्ट्रवाद का बड़ा मुद्दा रहा इसके साथ उनकी समाज कल्याण की योजनाओं से भी इन्हें बड़ा लाभ मिला। भाजपा पश्चिम बंगाल और ओडिसा में बड़ी घुसपैठ करने में सफल हो गई। तेलंगाना के नतीजे बताते हैं कि भाजपा अब केवल हिंदी क्षेत्र की पार्टी नहीं है।
मोदी सरकार को एक बड़ा जनसमर्थन मिला है, पर अब उसे अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभानी है, जबकि हार गई पार्टियों में आत्ममंथन होना चाहिए कि 2014 और 2019 में वे कहां गलत हो गए। अभी 2024 में काफी समय है और इस बीच विपक्ष को अपनी गलतियां सुधारने का पूरा अवसर मिलेगा। भाजपा ने अकेले 300 से ज़्यादा सीटें जीती हैं, इस कारण उसे अपने सहयोगियों की भी ज़रूरत नहीं है, पर सत्य यह कि ज़्यादा ताकत अपने साथ ज़्यादा जिम्मेदारियां भी ले कर आती है। एक बार जब यह चुनावी बुखार उतर जाएगा तो मोदी को ज़रूरत है सीमा पार के आतंकवाद और किसानों की समस्याओं को हल करने की। भाजपा को अपने 2014 और 2019 के चुनाव घोषणा पत्रों पर अमल करते हुए 2022 तक किसानों की आय को दुगना करना होगा। इस के अलावा बेरोजग़ारी, अर्थव्यवस्था की धीमी गति और असहिष्णुता जैसे गंभीर मुद्दों को भी देखना होगा। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद एनडीए के सांसदों के बीच मोदी ने जो भाषण दिया वह बहुत महत्वपूर्ण था। इसमें उन्होंने क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा, संवैधानिक मूल्यों के साथ-साथ अल्प संख्यक समुदायों की बात की जो डर के साए में जी रहे हैं। एक विश्वास बनाए रखने के लिए मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा दिया और कहा कि हम सब के लिए काम करेंगे न कि सिर्फ उनके लिए जिन्होंने हमें वोट दिया है। इससे सभी के मन में मोदी के प्रति श्रद्धा जागी है। इस संदेश ने उन्हें एक राजनीतिज्ञ से ‘स्टेटसमैन’ बना दिया। इसके साथ उन्होंने जो आदर भाव वरिष्ठ राजनेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और प्रकाश सिंह बादल के प्रति प्रगट किए उससे संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री अपनी दूसरी पारी में एकीकरणीय व्यक्तित्व बनने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा कार्य है सभी का विश्वास जीतना। प्रधानमंत्री को जीत की बधाई देते हुए ‘तहलका’ उम्मीद करता है कि मोदी की दूसरी पारी अधिक समावेशी और बहुवादी होगी।