मेघालय में जल्द ही बाहरी लोगों के प्रदेश में प्रवेश करने पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इसके लिए पिछले दिनों राज्य की कैबिनेट ने आदिवासी नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए ऐसे अधिनियम में संशोधन को मंज़ूरी दे दी है। मेघालय निवासियों के लिए सुरक्षा और सुरक्षा अधिनियम 2016 को मंजूरी दे दी है। इस बारे में मेघालय के उप मुख्यमंत्री प्रस्टोन तिनसॉन्ग ने बता कि संशोधित अधिनियम को मंज़ूरी देने के साथ ही यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे राज्य के आगामी विधानसभा के अगले सत्र में नियमित किया जाएगा।
दरअसल, राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों के साथ ही आदिवासियों से जुड़े कई संस्थाएँ इस तरह की माँग कर रहे थे। ऐसे ही संगठनों और संस्थाओं से जुड़े लोगों के साथ कई बैठकों के बाद यह निर्णय लिया गया। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी नागरिक जो मेघालय का रहने वाला नहीं है और राज्य में 24 घंटे से अधिक ठहरना चाहता है, उसे सरकार को दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे। इस पर सिर्फ केंद्र, राज्य और िज़ला परिषदों के कर्मचारियों को छूट रहेगी। मेघालय निवासी, सुरक्षा और सुरक्षा अधिनियम 2016 (एम.आर.एस.एस.ए.) को तत्कालीन कांग्रेस की एमयूए-ढ्ढढ्ढ सरकार ने इनर लाइन परमिट (आई.एल.पी.) के एवज़ में अवैध आव्रजन की जाँच के लिए एक व्यापक तंत्र के हिस्से के रूप में पारित किया था। जब अधिनियम 2016 में पहली बार पारित किया गया था, तब केंद्र में किरायेदार थे।
हालाँकि अभी पंजीकरण के लिए क्या प्रक्रिया होगी, इस पर काम जारी है। प्रक्रिया सरल रहे साथ ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का विकल्प भी आने वाले लोगों को मुहैया कराया जाएगा। एक बार नियम तैयार हो जाने के बाद इसे कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित उपायुक्तों के नेतृत्व वाले िज़ला कार्य बलों को और अधिक सक्रिय होना होगा।’
ध्यान देने वाली बात यह है कि मेघालय की सरकार ने केंद्र सरकार का विरोध कर प्रदेश में नया अध्यादेश लागू किया है। इस नए कानून के तहत किसी भी गैर मेघालयन को 24 घंटे से ज़्यादा रुकने पर रजिस्ट्रेशन कराना ही होगा।
केंद्र सरकार ने हाल ही में धार्मिक उत्पीडऩ से भागने वाले प्रवासियों को वैध बनाने के लिए नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने के लिए अध्यादेश जारी किया था। इसी के विरोध के चलते मेघालय ने नया अध्यादेश लागू किया है। मेघालय डेमोक्रैटिक अलायंस कैबिनेट ने मेघालय रेजिडेंट्स सेफ्टी एंड सिक्योरिटी एक्ट, 2016 में संशोधन को मंज़ूरी दे दी है। यहाँ पर अवैध तरीके से पलायन करने वालों को आने से रोकने के लिए आईएलपी सिस्टम की माँग पहले से चल रही थी। लेकिन तब यह सिर्फ यहाँ पर रहने वाले स्थानीय लोगों ही पर लागू होता था।
दरअसल परमिट एक डॉक्यूमेंट है, जो आमतौर पर केंद्र सरकार जारी करती है। यह सुरक्षित इलाकों में एक सीमित समय के लिए रहने को ज़रूरी होता है। अभी तक ऐसे सुरक्षित इलाके नागालैंड, अरुणाचल और मिजोरम में ही हैं, लेकिन मेघालय के इस नए अध्यादेश के बाद यह भी अब सुरक्षित क्षेत्रों में शामिल हो जाएगा। बड़ी बात ये है कि इस परमिट को केंद्र नहीं, राज्य सरकार जारी करेगी।’
नागालैंड, अरुणाचल और मिजोरम के बाद मेघालय होगा चौथा राज्य सुरक्षित इलाकों या कहें कि बाहरी लोगों को प्रदेश में किसी भी तरह से बसने के मकसद से घुसने से रोकने को ऐसी व्यवस्था लागू की गई थी। इससे वहाँ की संस्कृति और लोक परम्पराओं को बढ़ावा देना है। इसलिए अब अगर किसी को भी मेघालय का दौरा करना है या घूमने की योजना बनाना है, तो इसे पहले पंजीकरण करना होगा। हालांकि सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि मेघालय के स्थायी निवासी चाहे वे जनजातीय हों या न हों उनको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। यह कानून सैलानियों, मज़दूरों या फिर कारोबार की गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए है। ऐसे लोग इन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य होंगे।’
मेघालय के उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून के लिए धारा 4 (ए) के तहत एक नियम है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी बाहरी शख्स जो राज्य में 24 घंटे से अधिक रुकना चाहता है, उसे कानून अपनी जानकारी देनी होगी। अगर कोई कानून का उल्लंघन करते पकड़ा जाता है तो उसके िखलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्यवाही की जाएगी।