बृहन्मुंबई महानगर पालिका ( बीएमसी) ने लोगों से आग्रह किया है कि लेप्टोस्पायरोसिस से बचने के लिए वे बीएमसी के डिस्पेंसरीज में जाए और एहतियातन दवाइयां लें। मुंबई ,नवी मुंबई, ठाणे के आसपास के इलाके ही नहीं बल्कि देश के जिन इलाकों में बारिश होती है और जलजमाव हो जाता है उन जगहों पर लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
बरसात के दिनों में जगह जगह पर पानी भर जाने से लोगों को गंदे पानी से गुजरना पड़ता है । यदि पैरों में छोटे-मोटे कट हो या घाव हो तो गंदे पानी में लेप्टोस्पायरोसिस के बैक्टीरिया शरीर में पहुंच जाते हैं और यह बीमारी हो जाती है समय पर इलाज न करने से यह जानलेवा साबित हो सकती है।
बरसात के दौरान यदि आप जलजमाव से होकर गुजरते हैं दो एहतियातन औरत 24 से 72 घंटे के बीच सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में आपको यह दवाइयां ले लेनी चाहिए।
लेप्टोस्पायरोसिस के बैक्टीरिया जानवरों के किडनी में पलते हैं और मूत्र के जरिए पानी में मिल जाता है। विशेष तौर पर यह चूहों के मूत्र से फैलता है। बरसात में जलभराव के कारण चूहे, बिल्ली ,कुत्ते आदि प्राणी मर जाते हैं और उनके शरीर के सड़ गल जाने से पानी में फैल जाते हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस के प्रारंभिक लक्षणों में सिर दर्द, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द और कभी कभी पीलिया के लक्षण भी होते हैं। ब्लड व अन्य टेस्ट के जरिए मुकम्मल तौर पर इसका पता लगाकर इलाज किया जा सकता है।
बारिश के दिनों में जलजमाव आम बात है ।यदि आप जलजमाव से होकर गुजरते हैं तो आपको चाहिए आप डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। बच्चों को ऐसी जगह पर जहां पर वाटर लॉग्ड हो ,जाने से रोके ऐसी जगह खेलने से रोकें। मानसून के दौरान उपरोक्त लक्षण दिखाई दे तो सरकारी या प्राइवेट डॉक्टर के पास जाने से कोताही ना बरतें। एंटिबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन के लिए प्रभावशाली मेडिसिन है। लेकिन खुद ही अपना इलाज करने की कोशिश न करें।यह जानलेवा साबित हो सकता है।