महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी सरकार में ‘सब कुछ ठीकठाक है’ का दावा करने वाले अब इस बात को लेकर परेशान हैं कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर आपसी विवाद कैसे सुलझाया जाए?
जहाँ एक ओर महा विकास अघाड़ी के घटक दल इस मामले को अपने-अपने तौर पर डायल्यूट करने की कोशिश में लगे हैं, ताकि उनके बीच समन्वय की तस्वीर बनी रहे। वहीं दूसरी ओर भाजपा इस मामले को तूल देकर बड़ा मुद्दा बनाने पर तुली है, ताकि वह इसका राजनीतिक फायदा उठा सकें। इतना ही नहीं हिन्दुत्व के मुद्दे पर मुखर रहने वाले विश्व हिन्दू परिषद्, राष्ट्रीय बजरंग दल जैसे संगठन भी इस मामले में शिवसेना को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। महाराष्ट्र में खुद को हिन्दुत्व का नया चेहरा बताने की कोशिश में लगे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे की इस लड़ाई में कूद पड़े हैं।
दरअसल, मामले की शुरुआत हुई राज्य के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक के एक बयान से। मलिक ने विधान परिषद् में एक सवाल के जवाब में कहा कि महाराष्ट्र में मुस्लिम समाज को शिक्षा में 5 फीसदी आरक्षण मिलेगा और इसके लिए राज्य सरकार कानून बनाएगी। सरकार के घटक दल एनसीपी व कांग्रेस ने इसका स्वागत किया। लेकिन भाजपा द्वारा इसका विरोध करने के बाद शिवसेना ने कहा कि इस बाबत कोई विचार ही नहीं हुआ है। इससे एक नया विवाद पैदा हो गया। मलिक के इस घोषणा और उसे इसी शैक्षणिक वर्ष से लागू करने के वादे पर शिवसेना के एक कद्दावर मंत्री एकनाथ शिंदे ने यह कहकर कि महा विकास आघाड़ी की बैठक में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया; महा विकास आघाड़ी सरकार में आपसी समन्वय की तस्वीर साफ कर दी।
हालाँकि, दूसरे दिन इस मसले पर अपना स्पष्ट रवैया रखते मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। अगर ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के सामने आता भी है, तो सरकार पहले सभी कानूनी पहलुओं की जाँच करेगी। िफलहाल इस पर कोई भी निर्णय नहीं लिया है।
ठाकरे के इस बयान को शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस अपने-अपने नज़रिये से देख रही हैं और भाजपा अपने नज़रिये से।
कयास लगाये जा रहे हैं कि शिवसेना ने यह कहकर कि महा विकास आघाड़ी की बैठक में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है, भाजपा जैसे विरोधी पक्ष और हिन्दूवादी संगठनों को चुप कराने की कोशिश की है।
हालाँकि, मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस और एनसीपी अभी भी आश्वस्त हैं कि मुस्लिम आरक्षण का मामला कोई बड़ा पेंच नहीं बनेगा।
एनसीपी और कांग्रेस के खेमे का मानना है कि उद्धव ठाकरे ने मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव आने पर सरकार द्वारा कानूनी पहलू की जाँच करने की बात कहकर शिवसेना की सकारात्मक सोच को दर्शाया है और समय आने पर महा विकास अघाड़ी में इस मामले में कोई मतभेद नहीं दिखाई देगा।
दूसरी ओर शिवसेना से गठबन्धन वाली सत्ता से दूर हुई भाजपा मुस्लिम आरक्षण मामले में महा विकास आघाड़ी में विवाद को हवा देकर शिवसेना के साथ एक बार फिर सत्ता का खवाब देखने लगी है।
भाजपा के एक खेमे में से इस बात को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू होने की खबर है कि यदि महाविकास आघाड़ी में इसी तरह विवाद उठते रहते हैं और विशेषकर मुस्लिम आरक्षण को लेकर मतभेद सिरे तक जा पहुँचता है, तो इसका फायदा उठाया जाए। इसके लिए आरक्षण के मुद्दे पर शिवसेना को चुनौती दी जाए और स्थिति पैदा की जाए की महाविकास आघाड़ी में इस विवाद को लेकर खटास उत्पन्न हो जाए और उस स्थिति में शिवसेना से नज़दीकी बढ़ायी जाए।
जहाँ एक ओर तीखे तेवर के साथ विधानसभा में ही नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा कि यदि ठाकरे में हिम्मत है, तो वह बोलें कि वे मुस्लिमों को आरक्षण नहीं दे सकते।
दूसरी ओर भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने सॉफ्ट रवैये के साथ शिवसेना को अप्रोच भी किया। उनका कहना था कि यदि मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना का साथ छोड़ देती है, तो ऐसे में भाजपा उद्धव ठाकरे को साथ देगी।
हालाँकि, भाजपा के तल्ख तेवरों को देखते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना था कि इस मामले में जब कोई निर्णय ही नहीं लिया गया है, तो हंगामा किस बात का किया जा रहा है। साथ ही ठाकरे ने सलाह भी दे डाली कि हंगामा करने वाले अपनी ऊर्जा बचाकर रखें और उसका इस्तेमाल उस समय करें, जब यह मुद्दा चर्चा के लिए सामने आये।
राजनीतिक विश्लेषक भरत राऊत महा विकास आघाड़ी सरकार का हिस्सा होते हुए भी घटक दल कांग्रेस, एनसीपी द्वारा मुस्लिम आरक्षण की पैरवी किये जाने के बावजूद उसका विरोध करने की असली वजह उद्धव ठाकरे की मजबूरी बताते हैं। वह कहते हैं कि उद्धव ठाकरे की यह बात भले ही एनसीपी और कांग्रेस को सांत्वना देती लगे, लेकिन सच्चाई यह है कि शिवसेना कभी नहीं चाहेगी कि उसके माथे पर मुस्लिमों को आरक्षण देने का दाग लगे और हिन्दुत्व की लाइन पर चलने वाली भाजपा उसे बार-बार इस मामले पर जलील करती रहे।
यह बात जुदा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बयानों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सरकार में लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण मुस्लिम आरक्षण के मामले में अपनी पार्टी का नज़रिया स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि मुस्लिमों को आरक्षण देकर रहेंगे। कांग्रेस एनसीपी के घोषणा-पत्र मेंं मुस्लिम आरक्षण शामिल है।
मुस्लिम आरक्षण के मामले में उद्धव ठाकरे के इस बयान पर कि प्रस्ताव आने पर सरकार पहले सभी कानूनी पहलू की जाँच करेगी; को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख बाला साहेब थोरात भी जायज़ ठहराते हैं।
थोरात कहते हैं कि ठाकरे ने जो कुछ कहा वह सच है। क्योंकि इस मुद्दे पर अब तक कोई चर्चा नहीं की है। कांग्रेस, एनसीपी ने मुसलमानों को आरक्षण दिया था; यह पिछले 5 साल में आगे नहीं बढ़ा। लेकिन हमारी प्रतिबद्धता है और यह कांग्रेस, एनसीपी के घोषणा-पत्र का हिस्सा है। इसलिए हम इसे देना चाहते हैं। यह कोई बहुत बड़ा मसला नहीं है, जिस पर इतना हंगामा बरपाया जाए। क्योंकि महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार की समन्वय समिति और मंत्रिमंडल में इस मुद्दे पर चर्चा होगी और मुझे पूरा विश्वास है कि यह और इसका नतीजा अच्छा ही निकलेगा।