उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा लगाए गए यौन शोषण और प्रताड़ना के आरोपों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कराने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया है।
महिलाओं द्वारा लगाए गए यौन शोषण के इन आरोपों को भारत का ‘मी टू’ अभियान कहा जा रहा है।
भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील एम. एल. शर्मा को बताया कि इस पर सुनवाई सामान्य तरीके से होगी।
प्राथमिकियों के अलावा, याचिका में आरोप लगाने वाली महिलाओं को सहायता और सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश राष्ट्रीय महिला आयोग को देने का अनुरोध भी किया गया है।