देश की राजधानी में भले ही, दिल्ली पुलिस बिना मास्क लगाये खूम रहे लोगों का 2 हजार रूपये का चालान काट रहे हो, पर हकीकत में पुलिस इस मामले में अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभा रही है। आलम ये है दिल्ली में छोटे से लेकर बड़ा व्यापारी और फुटफाथों पर लगे बाजारों में ज्यादात्तर व्यापारी बिना मास्क लगाये कोरोना गाइड लाइन का पालन तक नहीं कर रहे है।
पुलिस इन व्यापारियों की तरफ देखती तक नहीं है। व्यापारी बिना मास्क के खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रही है।वहीं गरीबों को, जिनके पास 2 हजार रूपये तक नहीं होते है। अगर वे मास्क नाक के नीचे लगाये मिल जाते है तो उनका 2 हजार रूपये का चालान काट देती है।
ऐसा मामला आज दिल्ली के कनाँट पैलेस में देखने को मिला 45 वर्षीय युवक अपने मोबाइल पर बात करता जा रहा था तभी पुलिस वालों ने रोक कर कहा कि दिल्ली में कोरोना फैल रहा है। आप मास्क भी सही तरीके से नहीं लगाये है अब चालान के तौर पर 2 हजार रूपये लगेगें। युवक को पुलिस के पास देखते हुये लोगों का जमावड़ा लग गया।
युवक ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के कन्नौज से किसी काम से आया था। मास्क भी लगा रखा है। लेकिन बात करते करते मास्क मुंह से नीचे आ गया। युवक रमेश ने तामाम विनती की पर पुलिस ने एक ना मानी और चालान काट दिया। ऐसे ना जाने कितने लोगों का पुलिस चालान काट रही है।ऐसे में भीड़ में खड़े लोगों ने पुलिस वालों को बताया कि दुकानदार और फुटपाथ वालों का चालान क्यों नहीं काटा जा रहा है जो बिना मास्क के तामाम कोरोना विरोधी नियमों का पालन तक नहीं कर रहे है पुलिस भी चुपचाप सुनती रही ।
लोगों का कहना है कि पुलिस वाले दिखावे के तौर पर गरीबों और कमजोर लोगों का चालान काट कर अपनी जिम्मेदारी समझ रही है। लेकिन हकीकत में ये मामला पुलिस और व्यापारियों के बीच परस्पर सौहार्थ की दिखता है। ऐसे में बस पिसता है तो गरीब बस गरीब। पुलिस भी अपनी ड्यूटी समझ कर अपना काम कर रही है।लेकिन दिल्ली में इस तरह के इस तरह के रवैया का लोगों में बड़ा रोष है।