कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। दूसरी ओर, माधवराव सिंधिया की जयंती के मौके पर कांग्रेसी नेताओं ने सिंधिया के पिता को याद किया। ज्योतिरादित्य घटनाक्रम को जानकार सिंधिया परिवार की परंपरा तक करार दे रहे हैं। फिलहाल यह ‘डील’ वाला सियासी ड्रामा जल्द खत्म होने वाला नहीं है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मंझे हुए नेता हैं। यूँ ही ‘एमपी गजब है…’ नहीं कहा जाता। करीब तीन दशक से एमपी कांग्रेस में तीन गुट रहे हैं। एक कमलनाथ, दूसरा सिंधिया तो तीसरा दिग्विजय। समय-समय पर इनका असर भी दिखता रहा है। अब बाजी कमलनाथ के हाथ में है। तो वे भी सारे विकल्प अपनाने से नहीं चूकने वाले। संभवता इसीलिए उन्होने 6 मंत्रियों को तत्काल कैबिनेट से हटाने को राज्यपाल ने लिख दिया है। वहीं सिंधिया ने अपना इस्तीफा सिनिया गांधी को भेज दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सिंधिया ने ट्विटर हैंडल के जरिये अपने इस्तीफे की प्रति शेयर करके घोषणा की। उन्होंने जो इस्तीफा शेयर किया है, उस पर 9 मार्च की तिथि अंकित है। लेकिन फिलहाल उन्होंने भाजपा जॉइन नहीं की है। मतलब अभी खेल जारी रहने वाला है।
राज्यसभा के लिए नामांकन भी किये जाने हैं, उसका भी एक खेल हो सकता है। कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा को तेज बुखार आता है। अब कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते सिंधिया को निष्कासित किया गया है। इसके साथ ही छह मंत्रियों सहित 21 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आ गई है।
फिलहाल कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और उसे चार निर्दलीय, बसपा के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक का समर्थन है। भाजपा के पास 107 विधायक हैं।
समर्थकों के साथ भाजपा कर सकते हैं ज्वाइन
कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया 12 मार्च को अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में सिंधिया ने लिखा, अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना मेरा हमेशा से मकसद रहा है। मैं इस पार्टी में रहकर अब यह करने में अक्षम हूं।
सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के फोन सोमवार को स्विच ऑफ हो गए थे। उनका बंगलोर में होना बताया गया था। इससे पहले इसी तरह का असफल प्रयास गुड़गांव के होटल में विधायकों को ठहराकर किया जा चुका था। लेकिन इस बार बात बहुत आगे बढ़ गई है। नैतिकता तो गई भाड़ में। विचारधारा भी किताबी लगने लगती है। सत्ता सुख का भोग, अभोग वाले क्या जानें। फिलहाल एमपी की सियासत के लिए अगले दो दिन बेहद उठक-पटक वाले साबित होने वाले हैं। इस दरम्यान स्टिंग, वॉइस मेसेज भी वायरल हो सकते हैं। डील का भी खुलासा मुमकिन है।
मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। कमलनाथ के नेतृत्व की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का भी समर्थन है।