अलग-अलग मांगों को लेकर महाराष्ट्र के किसान फिर आंदोलन की राह पर हैं। बुधवार को २५ हज़ार से ज्यादा किसान आदिवासी लोक संघर्ष समिति के बैनर तले पैदल मार्च करते हुए कल मुंबई में दाखिल हो जाएंगे। इस बीच महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी शिव सेना ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है।
आंदोलनकारी किसान कृषि कर्ज माफी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों और वन अधिकार अधिनियम को लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं। किसानों की यह भी मांग है कि कृषि श्रमिकों की पेंशन योजना में बढ़ोतरी की जाए और कीट हमलों से हुए नुकसान का उन्हें मुआवजा मिले। किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन लंबा चल सकता है।
किसान लोड शेडिंग की समस्या, वनाधिकार कानून लागू करने, सूखे से राहत, न्यूनतन समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने जैसी मांगों के साथ फडणवीस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। वे कुछ महीने पहले भी आंदोलन कर चुके हैं लेकिन उनका कहना है कि जो भरोसा उन्हें दिया गया था उसपर कोइ अमला नहीं हुआ।
आंदोलनकारी किसान आज़ाद मैदान पहुंचकर राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाये हुए हैं। किसानों ने आरोप लगाया है कि पिछले प्रदर्शन के करीब आठ माह गुजर जाने के बावजूद फडणवीस सरकार उनकी मांगों पर कुंडली मारे बैठी है। गौरतलब है कि किसानों के इस आंदोलन में कई सामाजिक कार्यकर्ता और किसान आंदोलनों से जुड़े लोग शामिल हैं।
उधर मुंबई में किसानों के पैदल मार्च पर शिवसेना के सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि पार्टी किसानों के साथ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के मुद्दों को लेकर अधिक संवेदनशील होना चाहिए। उनके मुताबिक शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी सरकार से किसानों के मुद्दे पर बात करेगी।