2018 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने जब महिलाओं के साथ हुए यौन हिंसा के आँकड़े प्रस्तुत किये थे, तो उन आँकड़ों में महिलाओं के यौन शोषण को लेकर हरियाणा राज्य की स्थिती बहुत दयनीय बतायी गयी थी। सन् 2011 की जनगणना में हरियाणा का लिंगानुपात भी देश के लिंगानुपात से काफी कम था, जिससे यह बात सामने आयी थी कि हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या बड़े पैमाने पर होता है। लेकिन हरियाणा अपनी इस छवि को पीछे छोड़ते हुए एक नयी छवि गढऩे जा रहा है; जहाँ महिलाओं को पुरुषों से कतई कम नहीं समझा जाएगा। हरियाणा सरकार, पुरुषों और महिला उम्मीदवारों के लिए पंचायत चुनावों में 50-50 फीसदी आरक्षण प्रदान करने के लिए एक विधेयक लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत प्रत्येक कार्यकाल की समाप्ति के बाद महिला और पुरुष उम्मीदवारों के बीच सीटों की अदला-बदली की जाएगी। यह व्यवस्था 2021 में होने वाले पंचायत चुनावों से शुरू होगी।
पिछले दिनों हरियाणा के उप मुख्यमंत्री सीएम दुष्यंत चौटाला ने इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा विधायक दल इस पर सहमति जता चुके हैं। यह गठबन्धन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम का भी हिस्सा है। जल्द ही कैबिनेट बैठक में मंज़ूरी के लिए इसका एजेंडा लाया जाएगा। इस पर काम शुरू कर दिया गया है। कैबिनेट मंज़ूरी के बाद सरकार विधानसभा के अगले सत्र में विधेयक पारित कराकर 50 फीसदी आरक्षण का कानून बना देगी। पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को यह आरक्षण मिलने से ग्रामीण विकास तेज़ी से हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महिला जनप्रतिनिधियों की हौसला बढ़ाने के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली 100 महिला प्रतिनिधियों को स्कूटी देने जा रही है। इनमें 10 ज़िला परिषद् सदस्य, 20 ब्लॉक समिति सदस्य, 40 वार्ड सदस्य व 30 सरपंच शामिल होंगी। रक्षाबन्धन के मौके पर खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इसका ऐलान किया। ज्ञात हो कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और जजपा ने अलग-अलग चुनाव घोषणा पत्र जारी करते हुए महिलाओं की पंचायती राज व्यवस्था में भागीदारी बढ़ाने का दावा किया था।
20 राज्यों में पहले से ही है 50 फीसदी महिला आरक्षण
महिलाओं के 50 फीसदी आरक्षण देने पर गौर करें तो देश में फिलहाल 20 राज्य पहले ही पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दे चुके हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु जैसे बड़े प्रदेश शामिल हैं। हालाँकि इन राज्यों में लॉटरी द्वारा महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाती हैं; जबकि हरियाणा में प्रत्येक कार्यकाल की समाप्ति के बाद महिला और पुरुष उम्मीदवारों के बीच सीटों की अदला-बदली की जाएगी। हरियाणा इस प्रकार की विधि को अपनाने वाला देश का पहला राज्य होगा।
जनप्रतिनिधियों के शैक्षणिक-योग्यता की शर्त
हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसने पंचायत चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता की शर्त लगायी थी। चाहे महिला हो या पुरुष सभी के लिए शैक्षणिक योग्यता की सीमा निर्धारित है। इसका विरोध भी हुआ था और मामला अदालत में पहुँचा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर अपनी मुहर लगायी थी। इससे पंचायतों के विकास कार्य में काफी तेज़ी आयी है।
देश में हैं 14 लाख से ज़्यादा महिला सरपंच
केंद्रीय मंत्री नरेद्र सिंह तोमर ने 2019 में संसद में दिये गये एक वक्तव्य में कहा था कि देश में 2 लाख 53 हज़ार 380 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें करीब 31 लाख जनप्रतिनिधि हैं। इनमें महिलाओं की संख्या 14.39 लाख है, यह जनप्रतिनिधियों का करीब 46 फीसदी है।
हरियाणा में महिलाओं की भागीदारी
हरियाणा में महिलाओं के प्रति लोगों के नज़रिये में धीरे-धीरे ही सही, लेकिन लचीलापन आया है। यही कारण रहा है कि हरियाणा की महिलाओं ने राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपना परचम लहराया है। पिछले आँकड़े देखें, तो सिनेमा में सफलता, अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेडल जीतने, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने, विश्व सुंदरी का ताज जीतने से लेकर हर क्षेत्र में हरियाणा की लड़कियों ने एक नया इतिहास लिखा है। विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर, दंगल गर्ल गीता और बबीता फोगाट, ओलंपिक कांस्य जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक, माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही संतोष यादव, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सायना नेहवाल, पूर्व मिस इंडिया और बालीवुड अभिनेत्री जुही चावला, परिणीति चोपड़ा और मल्लिका सहरावत, अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाली कल्पना चावला या स्व. राजनेता सुषमा स्वराज जैसी दिग्गज हरियाणा की महिलाओं ने अपने उपलब्धियों से राज्य में बहुत समय से स्थापित रुढि़वादी मानसिकताओं को तोडऩे में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का हरियाणा सरकार का हालिया फैसला निश्चित ही महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक असाधारण कदम साबित होगा। ऐसे कई अध्ययन मौज़ूद हैं, जो यह दर्शाते हैं कि सरकार द्वारा दिये गये आरक्षण ने सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में काफी सुधार किया है। स्थानीय स्वशासन में महिलाओं की भागीदारी की सबसे अच्छी बात यह है कि स्थानीय शासन में मौज़ूद महिलाएँ संवेदनशील वर्गों खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की ज़रूरतों और हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करती हैं।