महिला सशक्तिकरण के लिहाज से सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में देश की सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि महिला अधिकारियों को कमांड पोस्ट से इंकार नहीं होना चाहिए और शारीरिक संरचना को इसका आधार नहीं माना जा सकता।
सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया है कि तीन महीने के भीतर इस दिशा में काम होना चाहिए। अदालत ने कहा कि महिलाएं सेना में भी पुरुषों की सहायक मात्र नहीं, बल्कि उनकी समकक्ष हैं। अभी तक सेना में महिलाएं अधिकतर मेडिकल कोर तक सीमित रही हैं। लेकिन सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद उनके बैटल फील्ड में जाने का पूरा रास्ता खुल गया है।
अदालत के आदेश का सबसे बड़ा लाभ भविष्य में सेना में आने की तैयारी कर रही लड़कियों को मिलेगा। इससे उनमें उत्साह का भी संचार होगा। सोमवार को अदालत ने स मामले में केंद्र को भी फटकार लगाई और टीम महीने के भीतर न आदेशों की अनुपालना का आदेश दिया। इसे लेकर कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी जिसपर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
अदालत ने कहा कि सेना में सच्ची समानता लानी होगी। कोर्ट ने कहा कि ३० फीसदी महिलाएं लड़ाकू क्षेत्र में तैनात हैं। लिहाजा उन्हें स्थाई कमीशन दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है।