महाराष्ट्र राज्य सरकार का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। विपक्षी ने बाढ़ और तूफान से प्रभावित किसानों को राहत देने की मांग करते हुए विधान भवन की सीढियों पर सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की ।
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाते हुए कहा कि ‘राज्य सरकार ने इस अधिवेशन में दस बिल की बात की है,लेकिन वास्तव में वे चर्चा ही नहीं करना चाहते हैं। यह सरकार चर्चा से भाग रही है ताकि किसानों को न्याय न मिले, मराठा-ओबीसी समुदाय के मुद्दे सामने न आएं।
कोरोना काल के दौरान सरकारी बंगलों के नवीकरण पर अरबों रुपये खर्च किए जाने पर फडणवीस ने कहा, ‘बंगलों का नवीनीकरण का काम चल रहा है। बंगलों के नवीनीकरण की लागत न्यूनतम होनी चाहिए। लेकिन किसानों की भी मदद की जानी चाहिए। ‘
‘इस सरकार के पास बंगलों पर खर्च करने के लिए पैसा है, तो किसानों को देने के लिए पैसा क्यों नहीं ?’ फडणवीस ने सवाल किया।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस बयान पर कि कृषि कानूनों का विरोध करने वाले व न्याय के लिए सड़कों पर उतरने वाले किसानों के साथ बातचीत करने के बजाय, केंद्र सरकार व भाजपा उन्हें देशद्रोही कह रही और यह आपातकाल से भी बदतर है पर फडणवीस का कहना था कि क्या महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या रुक गई है? यह सरकार अमेरिका रूस पर तो बात करती है लेकिन महाराष्ट्र के सवाल पर चुप हो जाती है। उन्होंने महाराष्ट्र में ऐसे कौन से झंडे गाड़ दिए हैं ? यह सरकार किसानों के पास गई और उन्हें 25,000 से 50,000 देने का वादा कर आए लेकिन सच तो यह है कि आज तक उन्हें एक भी धेला नहीं दिया गया।