महाराष्ट्र में पिछले साल सत्ता गंवाने वाली भाजपा को विधान परिषद के चुनाव नतीजों में झटका लगा है। कुल 6 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा सिर्फ एक ही सीट जीत पाई है जबकि शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को 4 सीटें मिली हैं। दिलचस्प यह है कि इनमें से शिव सेना की एक भी सीट नहीं है जबकि कांग्रेस-एनसीपी को 2-2 सीटें मिली हैं। एक निर्दलीय की जीत हुई है। भाजपा को सबसे बुरी हार नागपुर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में हुई जो पार्टी का गढ़ माना जाता है जहां कांग्रेस के जयंत दिनकर जीते हैं जबकि पुणे डिवीजन और नागपुर डिवीजन की सीट भी कांग्रेस के खाते में गई है। नागपुर सीट का कांग्रेस के खाते में जाना भाजपा के लिए बड़ा झटका है क्योंकि वहां पिछले 5 दशक से भाजपा और आरएसएस का गढ़ रहा है।
विधान परिषद की 6 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज करने में सफलता मिली। बाकी 5 सीटों पर शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी का महाविकास आघाड़ी गठबंधन जीत गया है जिनमें कांग्रेस-एनसीपी को 2-2 सीट मिली हैं। एक साल के भीतर भाजपा के लिए राज्य में यह दूसरा बड़ा झटका है। बता दें भाजपा ने 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और एक निर्दलीय को समर्थन दिया था।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी की हार पर कहा – ‘महाराष्ट्र विधानपरिषद चुनाव के परिणाम हमारी उम्मीदों के मुताबिक नहीं हैं। हम ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रहे थे जबकि सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली है। हमसे तीनों पार्टियों (महाविकास आघाड़ी) की सम्मिलित ताकत को आंकने में चूक हुई।’
भाजपा की सबसे बुरी हार नागपुर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में हुई है जिसे पार्टी का गढ़ माना जाता है। इस सीट से पूर्व में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव फडणवीस जीत चुके हैं। यहाँ चुनाव को महाविकास आघाड़ी और भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा था और भाजपा को यहां मात मिली है।
जीत के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा – ‘विधानपरिषद चुनाव में आघाड़ी की जीत गठबंधन पार्टियों के बीच एकता का सबूत हैं।’ धार पुणे निर्वाचन क्षेत्र से आघाड़ी के उम्मीदवार अरुण लाड ने एनडीए उम्मीदवार संग्राम देशमुख को 48 हजार वोटों से हराया। मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा – ‘चुनाव परिणाम पिछले एक साल में महाविकास आघाड़ी के विकास कार्यों पर मुहर की तरह हैं। भाजपा को सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए। विधानपरिषद चुनाव के बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन का उनका दावा खोखला साबित हुआ है।’
भाजपा अपने दो गढ़ पुणे और नागपुर भी बचा नहीं पाई। पुणे डिविजन की स्नातक सीट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अरुण लाड और औरंगाबाद डिविजन की स्नातक सीट से सतीश चह्वाण ने जीत हासिल की है। धुले नंदुरबार की 1 सीट को भाजपा जीतने में कामयाब रही है जबकि एक सीट अमरावती में निर्दलीय आगे है। पुणे स्नातक सीट से एनसीपी के अरुण लाड और औरंगाबाद की स्नातक सीट से सतीश चह्वाण ने जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस के जयंत दिनकर ने पुणे डिवीजन की सीट पर बाजी मारी है वहीं नागपुर डिवीजन की सीट भी कांग्रेस के खाते में गई है।
नागपुर सीट का कांग्रेस के खाते में जाना भाजपा के लिए बड़ा झटका है। वहां पिछले 5 दशक से भाजपा और आरएसएस का गढ़ रहा है।