लोकसभा चुनावों मैं मिली करारी हार के बाद महाराष्ट्र में महागठबंधन अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे को भी साथ में लेने का मन बना रह है ।हालांकि लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मैदान में नहीं उतरी थी लेकिन राज ठाकरे ने अपनी सभाओं से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की नींद हराम कर दी थी ।राजनीतिक गलियारों में कहा जाने लगा था कि महाराष्ट्र में विपक्ष की भूमिका में यदि कोई नेता है तो वह मनसे चीफ राज ठाकरे । बीजेपी शिवसेना ने आरोप लगाना शुरू कर दिया था कि राज ठाकरे की सभाओं को कांग्रेस और एनसीपी प्रायोजित कर रही है। ठाकरे ने अपनी सभाओं में ऑडियो वीडियो के जरिए मोदी -शाह जोड़ी की कथनी और करनी के अंतर को सटीक तरीके से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की । राज की सभाओं को बेहतरीन प्रतिसाद तो मिला लेकिन इसका असर चुनावी नतीजों पर नहीं दिखाई पड़ा। बावजूद इसके राज ठाकरे अपनी अलग छवि बनाने में कामयाब रहे।
अब महागठबंधन की मंशा है कि अगले 6 माह में होने जा रहे हैं विधानसभा चुनाव में राज को साथ में लेकर वह फडणवीस सरकार को उखाड़ने में सफल हो ।
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मानिकराव ठाकरे की राज ठाकरे से मुलाकात को इस पहल के रूप में देखा जा सकता है। कांग्रेस की तरफ से राज ठाकरे की ओर हाथ बढ़ाना कांग्रेस और महागठबंधन की बेबसी ही लगती है ।सच्चाई यह है कि राज ठाकरे के उत्तर भारतीयों के खिलाफ आक्रामक रवैए के चलते कांग्रेस ही कभी नहीं चाहती थी कि वह राज ठाकरे से गठबंधन करें और उसका उत्तर भारतीय जनाधार कमजोर बने।
इसके पहले नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार राज ठाकरे से मुलाकात कर चुके हैं काबिले गौर है कि एनसीपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन में राज को शामिल किए जाने की राय जाहिर की थी। लोकसभा चुनाव के निराशाजनक नतीजों के बाद सबसे पहले राज ठाकरे से मिलने स्वाभिमानी शेतकरी संगठन को राजू शेट्टी मिलने पहुंचे थे। हलांकि आधिकारिक तौर पर किसी भी पार्टी ने इस नए कदम को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है फिर भी चर्चा यही है महागठबंधन को अपनी नैया पार लगाने के लिए राज ठाकरे का सहारा लेना पड़ सकता है।