महाराष्ट्र में चल रहे घटनाक्रम के बीच भाजपा ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र में वर्तमान राजनीतिक उठापटक शिवसेना का आंतरिक मामला है और भाजपा राज्य में सरकार बनाने का दावा नहीं कर रही है। उधर शिव सेना के वरिष्ठ नेता संजय राऊत ने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे ही मुख्यमंत्री रहेंगे और शिवसेना की सरकार भी रहेगी। इस बीच भाजपा शासित असम में शिवसेना के ‘बागी’ विधायकों को जहाँ ठहराया गया है उस होटल की जबरदस्त किलेबंदी की गयी है और वहां आम लोगों का प्रवेश रोक दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने आज कहा कि ‘महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट शिवसेना का आंतरिक मामला है और भाजपा राज्य में सरकार बनाने का दावा नहीं कर रही है। उन्होंने कल पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी। शिवसेना के किसी भी विधायक के भाजपा के संपर्क में होने से भी उन्होंने इनकार किया।
दानवे ने कहा – ‘हमारी एकनाथ शिंदे से कोई बात नहीं हुई है। यह शिवसेना का आंतरिक मामला है। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं। हम सरकार बनाने का दावा नहीं कर रहे हैं।’
उधर बागियों के नेता समझे जा रहे विधायक एकनाथ शिंदे ने कहा कि ‘अप्राकृतिक गठबंधन’ से बाहर निकलने के लिए पार्टी के अस्तित्व के लिए यह (जो उन्होंने किया) जरूरी था। राज्य सरकार में गठबंधन के कार्यकाल के दौरान सिर्फ घटक दलों (कांग्रेस और एनसीपी) का ही भला हुआ।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, जिन्होंने बुधवार रात ही सरकारी आवास छोड़ दिया है, ने कहा कि पार्टी विधायकों को अपना इस्तीफा देना चाहते हैं, जो इसे राजभवन ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा – ‘अगर पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग है तो मैं पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने को भी तैयार हूँ।’
इस बीच शिव सेना के मुखपत्र ‘सामना’ के आज के संपादकीय में बागियों को चेतावनी दी गई है कि ‘वो समय रहते संभल जाएं और भाजपा की चाल में न फंस कर समझदारी दिखाएं। शिवसेना ने ऐसे कई प्रसंगों को पचाया है। ऐसे संकटों के सीने पर पांव रखकर शिवसेना खड़ी रही। जय-पराजय को पचाया। सत्ता आई या गई, शिवसेना जैसे संगठन को फर्क नहीं पड़ता है।’
संपादकीय में आगे कहा गया है – ‘शिवसेना की टिकट और पैसों पर, निर्वाचित हुए मेहनतवीर विधायक बीजेपी की गिरफ्त में हैं। राज्य की जनता मूर्ख नहीं है। होटल, हवाई जहाज, वाहन, घोड़े, विशेष सुरक्षा व्यवस्था भाजपा सरकार की ही कृपा नहीं है क्या? अकोला के विधायक नितीन देशमुख सूरत से मुंबई लौट आए और उन्होंने जो हुआ, इस बारे में सनसनीखेज सच्चाई बताई।’
इसमें कहा गया है – ‘शिवसेना का संगठन मजबूत है इसलिए ‘अलग समूह’ बनाकर असम गए लोगों को विधायक, माननीय बनने का मौका मिला। आज जो बीजेपी वाले उन्हें हाथों की हथेली पर आए जख्म की तरह संभाल रहे हैं, वे आवश्यकता समाप्त होते ही पुन: कचरे में फेंक देंगे। बीजेपी की परंपरा यही रही है। इसलिए कोई कितना भी जोर लगा रहा होगा फिर भी तूफान खत्म होगा और आकाश साफ होगा। भाजपा के प्रलोभन और दबाव के शिकार हुए विधायकों, शिवसैनिकों ने तय किया तो सभी लोग हमेशा के लिए ‘भूतपूर्व’ हो जाएंगे।’