महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जिस तरह से गवर्नर द्वारा सियासी दलों को एक के बाद एक कर न्योता दिया जा रहा है और वे अपना दावा करने में असफल हो रहे हैं उससे तो यही लग रहा है जैसे यहां पर सत्ता के लिए’ म्यूजिकल चेयर’ का खेल चल रहा है।
शिवसेना द्वारा सत्ता स्थापना का दावा तयशुदा वक्त में पूरा न कर पाने की स्थिति में गवर्नर ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया है। फिलहाल समय रेत की तरह हथेली से फिसलता जा रहा है भले ही एनसीपी ने यह कह दिया कि वह अपना दावा पेश करने में सफल होगी लेकिन मैजिक फिगर तक पहुंचने के लिए उसे भी पापड़ बेलने पड़ेंगे।
शिवसेना इधर इसलिए बिफरी पड़ी है कि उसे एंड टाइम पर कांग्रेस और NCP से.लिखित आश्वासन नहीं मिला और दूसरी तरफ कांग्रेस एनसीपी इसके लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे हैं। हालात भले ही ऐसे हैं फिर भी एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना मिलकर सत्ता बनाने के ख़्वाब बुन रहे हैं। हालांकि यहां भी सीएम पोस्ट के लिए पेंच फंसा हुआ है। शिवसेना सीएम पोस्ट चाहती है और एनसीपी इस पर तैयार नहीं दिखती। यदि आज शाम तक सत्ता समीकरण का कोई ठोस आधार सामने नहीं आता तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन इंपोज किया जा सकता है। हालांकि शिवसेना का कहना है कि वह इसे कोर्ट में चुनौती दे सकती है।
इससे पहले महाराष्ट्र की सेकंड लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते शिवसेना गवर्नर के न्योते पर पहुंची और उनसे अधिक समय की मांग की। लेकिन गवर्नर ने उन्हें अतिरिक्त समय देने पर असमर्थता जाहिर की।
इसके पहले महाराष्ट्र की सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बीजेपी को गवर्नर ने सरकार बनाने का न्योता दिया था। बीजेपी और शिवसेना के बीच 5050 फार्मूले की सच्चाई को लेकर चल रही जंग के चलते BJP ने बीजेपी ने सबसे पहले सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर की थी।
यह बात अलग है 14 वीं असम्बली इलेक्शन बीजेपी शिवसेना महागठबंधन के तौर पर लड़ा था। लेकिन चुनावी नतीजे आने के बाद दोनों के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर घमासान छिड़ गया। शिवसेना ने दावा किया इलेक्शन के पहले महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर पोस्ट ढाई- ढाई साल के लिए बांटने का वादा किया गया था लेकिन बीजेपी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। और दोनों के बीच अहम की लड़ाई ने तकरीबन 2 सप्ताह से ज्यादा महाराष्ट्र की जनता को अपनी नौटंकी में उलझाए रखा।
शिवसेना का दावा था यदि उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया जाएगा तो उनके पास एनसीपी और कांग्रेस के अलावा अन्य इंडिपेंडेंट विधायक और का सपोर्ट होगा मैजिक नंबर उनके बाएं हाथ का खेल होगा।
दरअसल शिवसेना को झटका कांग्रेस की तरफ से सहमति पत्र न मिलने से लगा।हालांकि एनसीपी ने शिवसेना को समर्थन देने की बात कही थी लेकिन साथ साथ यह भी जोड दिया था , चूंकि उसने विधानसभा इलेक्शन कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था इसलिए समर्थन के मुद्दे पर मित्रपक्ष कांग्रेस की ओर से लिखित आश्वासन जरूरी है ।
शिवसेना को समर्थन देने के मामले में कांग्रेस पशोपेश में रही। कांग्रेस का एक दल आईडियोलॉजी डिफरेंसेस की वजह से शिवसेना को समर्थन देने से इंकार करता रहा। उनका कहना था कि rightist हिंदुत्ववादी पार्टी के साथ सत्ता का सौदा कांग्रेस सेक्युलर इमेज को तोड़ देगा जिसकी भरपाई मुश्किल होगी। मुश्किलात महाराष्ट्र के लगभग 40 विधायकों की भी थी जो शिवसेना को समर्थन देने के लिए दबाव डाल रहे थे, उनको अनदेखा करना भी कांग्रेस को भारी पड़ सकता था। कांग्रेस का यह पशोपेश भरा रवैया शिवसेना को भारी पड़ गया। जब शिवसेना गवर्नर दरबार में पहुंची तो उसके पास लिखित आश्वासन था ही नहीं किसी भी पार्टी का। गवर्नमेंट गवर्नर ने अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया।
जहां तक एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की बात है उनकी शिवसेना और बीजेपी साथ बढ़िया रिश्ते हैं। वह बीजेपी या शिवसेना के समर्थन से सरकार बना सकते हैं कांग्रेस तो एनसीपी का मित्र पक्ष है। सत्ता वह भले ही शिवसेना को साथ लेकर बनाए या फिर बीजेपी के साथ उन्हें कांग्रेस का समर्थन जरूरी होगा।
अब सत्ता का समीकरण बिना कांग्रेस के संभव नजर नहीं आता।
गवर्नर से मिलने के बाद आदित्य ठाकरे ने विश्वास दर्शाते हुए कहा था कि गवर्नर ने उनके क्लेम को नकारा नहीं है लेकिन 24 घंटे से ज्यादा वक्त नहीं दिया। आदित्य ने बताया उन्होंने गवर्नर को कन्विन्स करने की कोशिश की कि, समर्थन को लेकर शिवसेना की अन्य दलों से मीटिंग चल रही है । उनका कहना था कि गवर्नर को मियाद खत्म होने के बाद भी डेमोक्रेटिक सरकार के गठन के लिए और अधिक समय देना चाहिए था। उन्होंने गवर्नर से और 2 दिन की मांग की थी। गौरतलब है कि इसके पहले संजय राऊत आरोप लगा चुके हैं भाजपा नहीं चाहती शिवसेना को अपना बहुमत साबित करने के लिए ज्यादा वक्त मिले।
महाराष्ट्र में तेजी से बदलते हुए घटनाक्रम को देखते हुए राजनीतिक पंडितों ने यहां तक कयास लगाने शुरू कर दिए हैं कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है या फिर mid-term पोल हो सकते हैं। इस बीच बीजेपी ने यह कहकर कि वह सारे घटना क्रम पर नज़र रखे हुई है ने सरकार बनाने के नवीन समीकरणों पर चर्चा शुरू कर दी है।