सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की तत्काल रिहाई की याचिका खारिज कर दी है। उन्हें दाऊद इब्राहिम से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था। सर्वोच्च अदालत ने आज उनके मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस स्टेज पर अदालत दखल नहीं देगी। अलबत्ता, पीठ ने कहा कि वे जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की सर्वोच्च अदालत की पीठ ने कहा कि जांच के इस चरण में हम मामले में दखल देने के इच्छुक नहीं है। हम इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। पीठ ने आदेश में कहा कि उच्च न्यायालय की टिप्पणियां केवल इस तक सीमित हैं कि अंतरिम राहत दी जानी थी या नहीं। ये कानून में उपलब्ध उपचारों का सहारा लेने के रास्ते में नहीं आएगा।
उधर नवाब मलिक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें 2022 में कैसे गिरफ्तार किया गया, जबकि यह मामला 1999 का है ? उन्होंने कहा कि विशेष अदालत 5000 पेज की चार्जशीट के चलते जमानत नहीं देगी। उन्होंने कहा कि पहली नजर में मालिक के खिलाफ कोई मामला और पीएमएलए के तहत मामला नहीं बनता है।