अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद भारत सरकार का पहला आधिकारिक ब्यान आया है जिसमें उसने बिना किसी का नाम लिए कहा कि वैश्विक महामारी में भी असहिष्णुता, हिंसा और आतंकवाद में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर और सीमा पार हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में शांति की संस्कृति पर आयोजित बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि आतंकवाद धर्मों और संस्कृतियों का भी विरोधी है। धर्म का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों और उनका समर्थन करने वालों को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता।
महासभा में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल उसके खिलाफ नफरत भरा भाषण देने के लिए करने पर पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया। मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर और सीमा पार हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है।
उन्होंने कहा – ‘हमने भारत के खिलाफ नफरत भरे भाषण के लिए संयुक्त राष्ट्र मंच का दुरुपयोग करने के पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की एक और कोशिश को देखा जबकि उनका देश अपनी सरजमीं और सीमा पार भी हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है।’
बता दें संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने महासभा में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया और पाकिस्तान समर्थक नेता दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी के बारे में बात की थी।
मैत्रा ने कहा कि शांति की संस्कृति सम्मेलनों में चर्चा के लिए केवल एक अमूर्त मूल्य या सिद्धांत नहीं है बल्कि सदस्य देशों के बीच वैश्विक संबंधों में इसका दिखना जरूरी है।