महाराष्ट्र राज्य पिछड़े आयोग की रिपोर्ट में मराठों को पिछड़ा माने जाने के चलते जहां एक ओर उनको आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है वहीं दूसरी ओर सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी उनके कार्यकाल के पांचवे साल में राहत मिलती नजर आ रही है।
महाराष्ट्र में सत्ता पर काबिज होने के साथ ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठों को आरक्षण का आश्वासन दिया था।
हालांकि फडणवीस के पहले कांग्रेस-एनसीपी की सत्ता में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने आरक्षण की घोषणा कर दी थी लेकिन मामला कोर्ट में चले जाने से यह सिर्फ घोषणा बन कर रह गई थी। दरअसल फडणवीस के लिए यह मसला उग्र उस उस वक्त बना जब अहमद नगर जिले में एक नाबालिग मराठा लड़की के बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। उस लड़की के आरोपियों को न्याय दिलाने के लिए निकले मोर्चा ने धीरे धीरे मराठा आरक्षण का रूप ले लिया और आरक्षण की मांग के चलते दर्जन लोगों ने आत्महत्या कर ली।
मूक मोर्चा से शुरू आंदोलन के हिंसक और उग्र हो जाने से महाराष्ट्र में सत्ता धारियों के हाथ पैर फूल गए थे। आयोग की रिपोर्ट में मराठा समाज को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ा माना गया है अब शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
80 के दशक से मराठा आरक्षण की मांग उठने लगी थी। 2009 में विधानसभा चुनावों में यह मांग फिर से उठी थी। 2014 तक आरक्षण का मुद्दा गरमा गया था और राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ ही नयी सरकार के लिए गले की फांस।
19 नवंबर से शुरू होने जा रहे हैं शीतकालीन अधिवेशन से पहले इतवार को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में इस रिपोर्ट को मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक मराठा समाज को आरक्षण दिए जाने के मसले पर सभी जाति समाज के लोगों ने अपना समर्थन दिया है। 98.30 फीसद मराठा समाज के लोगों ने आरक्षण का समर्थन किया है। 89.56 फीसद कुनबी समाज 98.83 फीसद ओबीसी समाज और 89.39 फीसद अन्य जातियों ने मराठा आरक्षण को अपना समर्थन दिया है।
आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समाज से पूछे गए सवालों के जवाब में 20.94 फीसद लोगों ने नौकरी 12 फीसद लोगों ने शिक्षण और 61.78 फीसद लोगों ने शिक्षा और नौकरी दोनों में आरक्षण की मांग की है। मराठा समाज के 74.4 फीसद लोग शहरी क्षेत्रों में और 68.2 फीसद लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। पिछले 10 सालों में जिन 345 लोगों ने आत्महत्या की है उनमें से 277 लोग मराठा समाज के हैं।
मराठा समाज के 37.28 फीसद लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजार रहे हैं 70.56 फीसद लोग कच्चे मकानों में रहते हैं और 62.70 फीसद लोग अल्पभूधारक हैं। मराठों को आरक्षण देने के मामले में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एसडी गायकवाड़ की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र राज्य पिछड़ी जाति आयोग में 15 नवंबर 2018 को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी।
मराठा समाज को आरक्षण देने की बाबत आयोग ने मानक के तौर पर 25 प्वाइंट्स तय किए थे जिनमें आर्थिक मामले में मराठा समाज को 7 में से 6 सामाजिक मुद्दों पर 10 में से 7.5 प्वाइंट्स और शैक्षणिक मामले में 8 में से 8 प्वाइंट्स मिले यानी कुल मिलाकर 25 में से 21.5 प्वाइंट्स मराठा समाज को मिले जिससे उनके लिए आरक्षण का रास्ता साफ हो गया।