मुंबई : महाराष्ट्र सरकार के मराठा रिजर्वेशन पर फैसला बरकरार रखते हुए बॉंबे हाईकोर्ट ने कहा कि रिजर्वेशन पर निर्णय सरकार का अधिकार है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट 16 फीसदी रिजर्वेशन के पक्ष में नहीं है और रिजर्वेशन 12-13 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। रिजर्वेशन के विरोध व समर्थन करने वाले रिटस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपना निर्णय दिया।
गौरतलब है कि चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार ने एजुकेशन और गवर्नर जाॅब्स में मराठा समाज को 16 फीसदी रिजर्वेशन हेतु पिछले साल 30 नवंबर को कानून बनाया था। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मराठाओं ने मूक मोर्चे निकाले। शुरुआत में शांतिपूर्वक निकलने वाले इन मोर्चों ने बाद में हिंसक रूप ले लिया था। हालांकि इसमें बाद में अन्य मुद्दे भी जोड़ दिए गए थे। महाराष्ट्र में चल रहे हैं मानसून सेशन में मराठा मोर्चा के दौरान कानून की जद में आए लोगों को बख्श दिए जाने की बात कही गई है।
कांग्रेस के शासन में महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर पृथ्वीराज चव्हाण ने 25 जून 2014 में मराठा समाज को 16 फ़ीसदी प्रथम मुस्लिम समाज को 5 फ़ीसदी आरक्षण की मंजूरी दी थी लेकिन उसी वर्ष नवंबर में हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इस बीच बीजेपी की सरकार आई और मराठों की मांग के सामने झुकते हुए एजुकेशन और गवर्नरनमेंट जाॅब्स में मराठा समाज को 16 फीसदी रिजर्वेशन का कानून बना दिया।
इस बीच महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर है देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण के बाबत मुंबई हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए खुशी व्यक्त की। उन्होंने विधानसभा में जानकारी देते हुए कहा कि ओबीसी रिजर्वेशन को ठेस न पहुंचाते हुए मराठा समाज को रिजर्वेशन दिया गया है। सीएम ने इसका श्रेय मराठा समाज को दिया। और साथ ही अपने मित्र पक्ष शिवसेना, विपक्ष और अन्य सभी के प्रति आभार प्रकट किया।