मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, हालांकि, वहां राजनीतिक दलों में अभी से माहौल बनना शुरू हो गया है। कांग्रेस को उस समय बड़ा बल मिला जब हिंदूवादी संगठन ‘बजरंग सेना’ ने खुद का कांग्रेस में विलय कर लिया। कांग्रेस में शामिल होते हुए सेना ने आरोप लगाया कि भाजपा जनता के जनादेश को धोखा देकर राज्य की सत्ता में आई है और अपने रास्ते से भटक गई है।
बजरंग सेना का कांग्रेस में विलय मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की उपस्थिति में हुआ। विलय की घोषणा बीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रजनीश पटेरिया और समन्वयक रघुनंदन शर्मा ने की। इस मौके पर पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी उपस्थित थे जिन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के लिए भाजपा छोड़ दी।
कांग्रेस में शामिल होने पर बजरंग सेना के सदस्यों ने कमलनाथ को गदा और स्मृति चिह् भेंट किया और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए। कमलनाथ ने इस विलय का स्वागत करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खोखली घोषणाएं कर रहे हैं क्योंकि चुनाव निकट आ रहे हैं।
कमलनाथ ने दावा किया कि ‘चौहान ने अब तक 20,000 से अधिक घोषणाएं की हैं जो अभी तक लागू नहीं हुईं। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, चौहान को अब महिलाओं, युवाओं और कर्मचारियों की याद आ रही है’। उन्होंने कहा कि जनता ने इस बार भाजपा की सरकार को ख़त्म करने का फैसला किया है, जो ‘खरीद-फरोख्त’ से सत्ता में आई थी।
तत्कालीन बजरंग सेना के कांग्रेस में शामिल हुए नेता पटेरिया ने दावा किया कि बड़ी संख्या में कांग्रेस में शामिल होने वाले कार्यकर्ता भाजपा की हार सुनिश्चित करेंगे, जो लोगों के जनादेश को धोखा देकर सत्ता में आई थी। बजरंग सेना की स्थापना 2013 में छतरपुर में हुई थी जो धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर आंदोलन करती है।