“मजबूरी में मजदूरी करते है हम लोग” ये कहना है दिल्ली से अपने गांव जाने वाले मजदूर रमन और गोपाल का, उन्होंने तहलका संवाददाता को बताया कि दिल्ली में जब से कोरोना आया है, तब से अगर किसी पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है तो, वो मजदूरों है, क्योंकि बीमारी को रोकने के लिये सरकार सबसे पहले मजदूरों का काम रोकती है। जहां पर मजदूर काम करता है वहां का ठेकेदार पैसा देने में आनाकानी करने लगता है। कहता है कि अभी पैसा कंपनी या मालिक नहीं दिये है। तो मजदूरों को अपनी मेहनत का पैसा वसूलने में काफी दिक्कत होती है। मजदूरों का कहना है कि सरकार मजदूरों को लेकर चाहे जितनी ही बात कर लें। वो सिर्फ बातें ही होती है। क्योंकि मजदूरों को ना तो कोई राजनेता जानता है और ना ही अधिकारी ऐसे हालात में मजदूरों का शोषण होता है।
बतातें चलें रमन अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के बस्ती में रहते थे। उनका काम धंधा अच्छा चलता था। लेकिन बीमारी और कुछ अन्य कारणों से काम धंधा बंद हो गया था। रोजी -रोटी की तलाश में दिल्ली शहर में आ गया थे, 11 नबंवर 2020 को दिल्ली में। यहां पर दिहाड़ी काम किया। ठेकेदार ने पैसा देने में भूल-भुलैया की, पैसा भी कम दिये। फिर उन्होंने सब्जी का ठेला लगाया। सब्जी के धंधे में रोजी रोटी चल पड़ी थी। लेकिन दिल्ली में लाँकडाउन होने से सब्जी के धंधे में गिरावट आ गयी फिर से रोजी –रोटी का संकट होने की संभावना को देखते हुये वे 21 अप्रैल को अपने घर –गांव चले गये। कोरोना काल में लाँकडाउन होने से बाजारों और होटलों में खाना का काम बंद हो जाता है। जिससे सब्जी के दामों में गिरावट आ जाती है।खैर जो भी हो मजदूरों का पलायन तेजी से बढ़ा है।