‘तहलका’ के जनवरी के अंक में प्रकाशित रिपोर्ट ‘क्या इतिहास बन जाएगा जोशीमठ?’ ने यह उजागर किया था कि कैसे अधिकारियों ने जोशीमठ के गम्भीर संकट में घिरने के शुरुआती चेतावनी संकेतों को नज़रअंदाज़ किया था। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की प्रारम्भिक रिपोर्ट में पहले ही कहा गया था कि पूरा जोशीमठ शहर धँस सकता है; जिसे हिमालय में धार्मिक स्थलों का प्रवेश द्वार माना जाता है, जिसका चीन सीमा के पास होने और वहाँ सेना छावनी होने के कारण बड़ा सामरिक महत्त्व है। इसरो की उपग्रह तस्वीरों से ज़ाहिर होता है कि जनवरी, 2023 में भूमि कटाव की एक संभावित घटना के कारण हिमालयी शहर जोशीमठ सिर्फ़ एक पखवाड़े में 5.4 सेंटीमीटर, जबकि अप्रैल और नवंबर, 2022 के बीच 8.9 सेंटीमीटर तक धँस गया था। कई घरों, सडक़ों और दीवारों में दरारें पड़ गयी थीं।
इस अंक में ‘तहलका’ एसआईटी ने इस मामले की आगे जाँच की, क्योंकि ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि शंकराचार्य मठ में दरारें पड़ गयी हैं। इसी के साथ जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने अपने आन्दोलन को तेज़ करने की धमकी दी, जबकि प्रसिद्ध भू-विज्ञानी नवीन जुयाल ने आशंका ज़ाहिर की थी कि यदि निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत और हेलंग बाईपास परियोजनाओं को नहीं रोका गया, तो उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक शहर जोशीमठ धँस जाएगा।
‘तहलका’ एसआईटी का मक़सद यह उजागर करना है कि कैसे उत्तराखण्ड के पहाड़ी शहरों में भू-माफ़िया की मदद से अवैध और अनियोजित निर्माण अभी तक चल रहे हैं, जो रिश्वत के बदले भू-स्वामियों और अधिकारियों के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य कर रहे हैं।
इस अंक में हमारी कवर स्टोरी ‘रिश्वत दो, नक्शा पास’ ख़ुलासा करती है कि कैसे जोशीमठ और उसके आसपास अभी तक बेतरतीब निर्माण चल रहा है और उत्तराखण्ड के पहाड़ी शहरों में संभावित सम्पत्ति ख़रीदारों के लिए कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के कारण भवन उप नियमों को ताक पर रखना मामूली बात है। ‘तहलका’ एसआईटी ने रियल एस्टेट एजेंटों की बातचीत कैमरे में रिकॉर्ड कि जो यह कह रहे हैं कि ‘बस अधिकारियों को रिश्वत दें और रिसॉर्ट, घर या किसी अन्य परियोजना के निर्माण के लिए तमाम मंज़ूरियाँ हाथों-हाथ हासिल करें।’
‘तहलका’ एसआईटी ने पाया कि नियमों का यह उल्लंघन न सिर्फ़ इस पवित्र शहर तक सीमित है, बल्कि नैनीताल, मसूरी, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी, गुप्तकाशी और ऋषिकेश जैसे अन्य पहाड़ी शहरों के निवासियों में भी इस स्थिति को लेकर भय पसरा है; क्योंकि वहाँ भी इमारतों और सडक़ों में दरारें दिखायी देने लगी हैं। उत्तराखण्ड के मशहूर पर्यटन स्थल नैनीताल का हाल भी जोशीमठ जैसा ही दिख रहा है, क्योंकि वहाँ माल रोड पर भी दरारें आ गयी हैं।
जाँच के हिस्से के रूप में ‘तहलका’ ने कई रियल एस्टेट एजेंटों से मुलाकात की और उन्हें कॉटेज, रिसॉट्र्स और अन्य परियोजनाओं के निर्माण की मंज़ूरियाँ बिना किसी परेशानी के करवाने के बदले फ़र्ज़ी सौदों की पेशकश की। एजेंटों ने न केवल ‘तहलका’ रिपोर्टर को (कैमरे पर रिकॉर्ड) आश्वासन दिया कि वे एलडीए से सभी काम करवाएँगे, बल्कि उन्होंने उन अधिकारियों के सम्पर्क नंबर भी साझा किये, जो हमारे काम करवा सकते हैं। इसमें रिश्वत के बदले में नक़्शे की योजनाओं की स्वीकृति और भवन निरीक्षण शामिल हैं। इन एजेंटों ने रिश्वत के एवज़ में एक ऐसी जगह पर आवासीय निर्माण के लिए प्रशासनिक अनुमति का भरोसा दिलाया, जहाँ हाई टेंशन बिजली लाइनें ऊपर से गुज़र रही थीं। एजेंटों ने ख़ुलासा किया कि राष्ट्रीय राजधानी के ताक़तवर लोगों और बिल्डरों के स्वामित्व वाली कई ऐसी इमारतें हैं, जो बिना प्राधिकरण के अनुमोदन के बनायी गयी थीं। क्या इस अँधेरगर्दी को देखने वाला कोई है?