भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए और अधिक मुआवजे की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी फर्मों से की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, “डाऊ केमिकल्स के साथ समझौता फिर से नहीं खुलेगा। भोपाल गैस त्रासदी में 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गर्इ थी और करीब एक लाख से अधिक लोग जिंदगी भर बीमारियों से जूझने को मजबूर हो गए।”
बता दें, जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने भोपाल गैस त्रासदी पर अपना फैसला सुनाया है। इस पीठ में जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके महेश्वर शामिल है।
आपको बता दें, केंद्र सरकार की याचिका पर संविधान पीठ ने 12 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। और इस हादसे के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) अब डॉव केमिकल्स के स्वामित्व में है। उसने आधी रात को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव के बाद 7400 करोड़ का मुआवजा दिया था।
1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात हुए गैस रिसाव से 3 हजार से अधिक लोगों की मौत और 1 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। केंद्र सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि 1989 में तय किए गए मुआवजे के समय इंसानों की मौतों उन पर रोगों के कारण पड़ने वाले बोझ व पर्यावरण को हुए वास्तविक नुकसान की गंभीरता को सही से आकलन नहीं किया जा सका था।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को यूसीसी से ज्यादा मुआवजे की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका पर सवाल किया था कि सरकार 30 साल से ज्यादा समय के बाद कंपनी के साथ हुए समझौते को फिर से तय करने का काम नहीं कर सकती है।