कृषि कानूनों के खिलाफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में किसान महापंचायतें अब जोर पकड़ने लगी हंै। कभी राजनीतिक पार्टियां और तो कभी किसान संगठन पंचायत कर तीनों कृषि कानूनों को वापस कराने पर जोर दे रहे हैं। इसी के मद्देनजर आज सहारनपुर में भी भाकियू की महापंचायत बुलाई गई और मेरठ में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसान महापंचायत को संबोधित किया।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सहारनपुर में दो टूक कहा कि हमें संशोधन नहीं चाहिए, कानून खत्म होने चाहिए। पहले बिना पूछे आपने कानून बना दिया और फिर पूछते हो कि इसमें कमी क्या है? अनाज को तिजोरी में बंद करना चाहते हैं, भूख पर व्यापार करना चाहते हैं, ऐसा नहीं होगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन स्थल पर सरकार ने हमारे लिए पहले तारबंदी-कीलबंदी की गई और फिर कटीले तार लगाए। सरकार ने किसान की पगड़ी उछालने का काम किया है और तिरंगे को ठेस पहुंचाई है। देश भाजपा को नहीं बख्शेगा। देश में आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है। सरकार को एमएसपी की गारंटी देनी होगी। जब तक तीनों कानूनों की वापसी नहीं होगी, तब तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि अगर यह आंदोलन फेल होगा तो युवा बेरोजगार हो जाएगा। किसान की जमीन नहीं बचेगी। जमीनें कम्पनियों के पास चली जाएंगी। रोटी की कीमत कंपनी तय करेगी। आंदोलन में किसान मजदूर साथ आएंगे तो बात बनेगी। सरकार 15 दिन से शांत है और कोई नया फंडा तलाश रही है। अब देश मे हल क्रांति होगी। हाथों में खेती के औजार लेकर किसान सरकार से भिड़ेगा। 40 लाख ट्रैक्टरों से किसानों का आंदोलन होगा। यह जंग छिड़ चुकी है। अब किसान चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा कि वह बंगाल भी जा रहे हैं।
अंग्रेजों से ज्यादा किसानों पर जुल्म कर रही सरकार: केजरीवालदिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेरठ की किसान महापंचायत को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली बाॅर्डर पर बैरियर लगाए गए हैं। मोटी- मोटी कीले लगाई गई हैं। मोदी सरकार तो अग्रेजों से ज्यादा किसानों पर जुल्म कर रही है। किसान तीन महीनों से सड़क पर ठंड और गर्मी में बैठकर कानूनों को वापस लेने का विरोध कर रहे हैं। इस दौरान 250 लोग शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। इतना ही नहीं, सरकार किसानों को देशद्रोही तक बता रही है। जबकि उनके ही परिवार के भाई और परिवार वाले बाॅर्डर पर जाकर देश की रक्षा कर रहे हैं। इस सरकार को किसानों के बारे में कोई चिंता नहीं है। यह सरकार केवल अपना हित देख रही है।