भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शनिवार को शुरू हो गया। एम्स, दिल्ली के फ्रंटलाइन सफाईकर्मी को पहली वैक्सीन लगी जबकि एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कोविड-19 का टीका लगाया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में की। पहले चरण में तीन लाख स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को मुफ्त में टीका लगेगा।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा – ‘आज के दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार था। कितने महीनों से देश के हर घर में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी की जुबान पर यही सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब आएगी। अब कोरोना की वैक्सीन आ गई है, बहुत कम समय में आ गई है। आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे।’
भारत के सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के 3006 टीकाकरण केन्द्र आपस में आज जुड़े हैं। पहले चरण के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके लिए कुल 3006 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं। पहले दिन तीन लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के टीके की खुराक दी जाएगी।
वैसे इतिहास गवाह रहा है कि दुनिया में महामारी की वैक्सीनेशन को तैयार करने, इसके ट्रायल करने और शुरुआत करने में आमतौर बरसों लग जाते हैं। लेकिन कोरोना का मामला अलग रहा है और बहुत काम महीनों में ही एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं।
पीएम ने कहा कि कई और वैक्सीन पर भी काम तेज गति से चल रहा है। ये भारत के सामर्थ्य, वैज्ञानिक दक्षता और भारत के टैलेंट का जीता जागता उदाहरण है। भारत का टीकाकरण अभियान बहुत ही मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है, जिसे सबसे ज्यादा जरूरत है, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा। वैक्सीनेशन अभियान से पहले पीएम ने कहा कि सबने चीन में अपनों को छोड़ा हम वापस लाये। आज सबसे पहली वैक्सीन फ्रंटलाइन सफाईकर्मी को एम्स, दिल्ली में लगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा – ‘आज मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूं। हम पिछले एक साल से पीएम के नेतृत्व में कोविड-19 के खिलाफ लड़ रहे हैं। यह वैक्सीन कोविड-19 की लड़ाई में संजीवनी का काम करेगी। आज एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी वैक्सीन की पहली खुराक ली।