आज 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं सालगिरह है। लोह महिला के नाम से जाने वालीं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में तब भारत की वीर सेना ने पाकिस्तान के दांत खट्टे करते हुए उसके दो टुकड़े कर दिए थे और बांग्लादेश का जन्म हुआ था। इस युद्ध की 50वीं सालगिरह पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति से स्वर्णिम विजय मशालें प्रज्ज्वलित कर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रवाना किया।
आज के इस दिन को देश भर में ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ सिविल और सैन्य अधिकारी भी इस मौके पर उपस्थित रहे।
पीएम मोदी ने इस मौके पर पुष्पचक्र समर्पित कर 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और आगंतुक पुस्तिका में अपने विचार भी व्यक्त किए। मोदी ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्योति से चार विजय मशालें प्रज्ज्वलित कीं और उन्हें 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्न भागों के लिए रवाना किया।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा – ‘विजय दिवस के मौके पर हम अपने सशस्त्र बलों के अदम्य साहस को याद करते हैं, जिसके फलस्वरूप 1971 के युद्ध में अपने देश को निर्णायक विजय हासिल हुई। इस विशेष दिन पर मुझे राष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्जवलित करने का सम्मान मिला।’
याद रहे 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश के वीर सैनिकों ने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे। करीब 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। अमेरिका के भारी दबाव की भी इंदिरा गांधी ने परवाह नहीं की और देश के हिसाब से चीजें कीं। साथ ही रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण तुरतुक को भी पकिस्तान के कब्जे से छुड़वाकर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में भारत की बढ़त बनवा दी।