भारतीय वायु सेना दिवस समारोह में जवानों ने किया जबरदस्त शक्ति-प्रदर्शन
मुश्किल से 10-15 मिनट में ही एक जिप्सी गाड़ी को अलग-अलग हिस्से करके खोलना, फिर जोडऩा और चलाकर आगे बढऩा। यह एक ड्रिल का हिस्सा था, जो मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट की टीम ने कर दिखाया। मौक़ा था भारतीय वायु सेना दिवस की समारोह का।
वायु सैनिकों ने अपने एक और करतब में वज़नदार बंदूकों को खिलौनों की तरह ऊपर-नीचे, दायें-बायें उछाला, मगर सन्तुलन बरक़रार रखा। वहीं आसमान में पैराशूट से रंगीन धुएँ के ग़ुब्बारे छोड़ते जोशीले, उत्साही, कुशल वायु सैनिकों का प्रशिक्षण इस बात का गवाह है कि भारत अब किसी से कम नहीं है। 8 अक्टूबर को चंडीगढ़ में 90वाँ वायु सेना दिवस समारोह दो भागों में आयोजित किया गया। पहला 12 विंग वायु सेना स्टेशन पर भव्य परेड के रूप में, दूसरा सुखना झील पर हवाई प्रदर्शन। हवाई प्रदर्शन में युद्धक विमानों ने हैरतअंगेज़ करतब दिखाकर उपस्थित चंडीगढ़ वासियों को जमकर रोमांचित कर दिया।
भारतीय वायु सेना के मुख्यालय हिंडन हवाई अड्डा, ग़ाज़ियाबाद के बाहर पहली बार चंडीगढ़ में वायु सेना दिवस मनाया गया। यह समारोह बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की नयी इबारत लिखता नज़र आया। परम्परा से आगे बढक़र अति आधुनिक तकनीक, कुशल प्रशिक्षण और अनुशासन भारतीय वायु सेना को नये अर्थों में परिभाषित कर रहा है। अब बेचारा नहीं रहा हमारा भारत। उसके पास अपनी सोच है। अपना ज्ञान है। ईमान भी है और अरमान भी। आधुनिक तकनीक और सूचनाओं से लैस हो रहा देश दुश्मनों के दाँत खट्टे करने वाले लड़ाकू विमानों को अपने यहाँ निर्मित कर रहा है। हम आत्मनिर्भर होने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए कई युवाओं के अरमान भी पूरे हो रहे हैं। समारोह में बहुत-से युवा सैनिकों से बात हुई। इस क्षेत्र में आकर वह अपने को काफ़ी सन्तुष्ट ख़ुश और गौरवान्वित महसूस करते हैं। उनका कहना है कि 12वीं के बाद बेस्ट ऑप्शन है वायु सेना में भर्ती होना। इससे परिवार की मदद भी कर सकते हैं और आगे अपनी पढ़ाई भी कर सकते हैं। व्यक्तित्व भी अच्छा हो जाता है। वायु सेना में प्रवेश के बाद पता चलता है कि इसमें काफ़ी सुविधाएँ हैं।
बदलते भारत की तस्वीर
हमारा फ्लैट जिस सोसायटी में है, वह हवाई अड्डा क्षेत्र के पास है। पिछले 10 साल से हम देख रहे हैं कि हमारी छत के ऊपर से हर रोज़ कई तरह के विमान आते-जाते रहते हैं। यात्री विमान भी और वायु सेना के भी। सुबह-सवेरे भारी-भरकम गरजता हुआ गजराज लेह के लिए निकलता है। विशेष दिनों में एक ऐसा विमान अक्सर क्षेत्र में उड़ता रहता है, जिसे समारोह के दौरान आर्टिलरी गन ले जाते देखा। इसे चीनूक का नाम दिया गया है। जिस तेजस को वायु सेना परेड के दौरान डिस्प्ले में देखा था, उसे सुखना झील पर गरजते और दहाड़ते देखा। यह देश में ही बनाया गया है। इसी तरह प्रचंड विमान भी स्वदेशी है। इसके अलावा रफाल, सूर्य किरण, मिग, सुखोई, मिराज आदि 80 से अधिक युद्धक विमानों ने अपनी- अपनी ख़ूबियों से लैस होकर जबरदस्त हवाई प्रदर्शन किया। आसमान में आग उगलते, धुएँ के रास्ते बनाते, कलाबाज़ी खाते ये विमान भारतीय वायु सेना की नयी ताक़त को बयाँ करते नज़र आये। युवा वायु सैनिकों ने ज़मीन से लेकर आसमान तक अपनी सूझबूझ, क्षमता, शक्ति और कौशल का प्रदर्शन किया।
भविष्य के लिए परिवर्तन
जी हाँ, वर्ष 2022 के लिए वायु सेना दिवस की थीम यही थी। वायुसेना ठिकाने पर अपने वक्तव्य में मुख्य अतिथि एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी का कहना था कि वायु सेना को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। इसलिए नये विमानों, प्रणालियों और अवधारणाओं में बदलाव लाया जा रहा है। वायु सेना के अधिकारियों के लिए आयुध प्रणाली शाखा के निर्माण के लिए केंद्र सरकार की मंज़ूरी मिल गयी है।
यह पहली बार है कि आज़ादी के बाद एक नयी परिचालन शाखा बनायी जा रही है। यह अनिवार्य रूप से सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, रिमोट से पायलेटेड एयरक्राफ्ट और वेपन सिस्टम ऑपरेटरों की जुड़वाँ और बहु क्रू-विमानों में चार विशेष धाराओं के संचालन के लिए होगा। इस शाखा के निर्माण से उड़ान प्रशिक्षण पर कम ख़र्च आएगा और 34,00 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी।
नयी वर्दी
भारतीय वायु सेना ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहाँ आकर आपके व्यक्तित्व का समग्र विकास होता है। अधिकारी राजीव शर्मा को वायु सेना की वर्दी आकर्षित करती है। इसी वजह से वह वायु सेना में भर्ती हुए। वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए कड़ी मेहनत और काफ़ी शोध करने के बाद एक नयी वर्दी (डिजिटल पैटर्न कॉम्बैट ड्रेस) वायु सेना के लिए दी गयी। इसे विंग कमांडर कुणाल खन्ना और उनकी टीम ने प्रदर्शित किया और एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने लॉन्च किया। कार्यकम के बाद मीडिया को उन्होंने बताया कि अब युद्ध पुराने ढर्रे पर नहीं लड़े जा सकते, बल्कि अपनी पारम्परिक हथियार प्रणाली को हालात के मुताबिक आधुनिक तकनीक से जोडऩे की ज़रूरत है। इसलिए वायु सैनिकों के लिए यह नयी वर्दी तैयार की गयी है, जो युद्ध के दौरान सुरक्षा के लिए काफ़ी मददगार साबित होगी। वायु सेना प्रमुख का कहना है कि हल्के ग्रे, हरे रंग से तैयार की गयी स्वदेशी वर्दी आरामदायक है। $खास बात यह है कि इसे जोन कर दिया गया है, ताकि हमारे लडक़े टेक्निकल स्पेस में आराम से काम कर सके। इसके साथ बेल्ट, टोपी और जूते भी आरामदायक हैं।
रोज़गार के नये आयाम
भारतीय वायु सेना में रोज़गार के नये आयामों को तलाश किया गया है। अब अग्नि वीर वायुसेना में प्रशिक्षण लेकर अपनी सेवाएँ देंगे। इस वर्ष दिसंबर तक 3,000 अग्निवीर प्रशिक्षण के लिए भर्ती किये जाएँगे। आने वाले वर्षों में यह संख्या और बढ़ेगी। अगले साल से यानी वर्ष 2023 से महिला अग्निवीर भी शामिल की जाएँगी।
श्रीमद्भगवद्गीता से ली प्रेरणा
भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। आज़ादी से पहले इसे रॉयल इंडियन वायु सेना कहा जाता था। वर्ष 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध में वायु सेना की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय वायु सेना ने श्रीमद्गवद्गीता से प्रेरणा लेकर नित नयी ऊँचाइयों को प्राप्त किया है। ‘नभ: स्पृशं दीप्तम्’ वायु सेना का आदर्श वाक्य है। यह श्रीमद्गवद्गीता के 11वें अध्याय का 24वाँ श्लोक है। इसका अर्थ है- ‘गर्व के साथ आसमान को छूना।’