मोदी राज में भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) में और नीचे लुढ़क गया है। हालत यह है कि भारत न केवल दक्षिण एशियाई देशों में सबसे खराब रैंकिंग पर पहुंच गया है, भयंकर आर्थिक स्थिति का सामना कर रहे पड़ौसी पकिस्तान से भी बुरी जीएचआई हालत में है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्कोर ३०.३ पाया गया है जो सीरियस हंगर कैटेगरी में माना जाता है।
जीएचआई के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक २०१५ में जो भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में ९३बे नंबर पर था, आज दुनिया के कुल ११७ देशों में १०२ स्थान पर पहुँच गया है। मोदी सरकार भले पांच ट्रिलियन तक पहुँचाने का ढोल पीट रही हो, जीएचआई की नई रिपोर्ट चिंता पैदा करने वाली है।
ब्रिक्स देशों में भारत भुखमरी के मामले में सबसे बुरी हालत में है। पिछले साल भारत
जीएचआई रैंकिंग में ९७वें नंबर पर था। यह आंकड़े संकेत कर रहे हैं कि देश में वर्तमान शासन असली मुद्दों की तरफ बिलकुल ध्यान नहीं दे रहा।
याद रहे २०१५ में भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में ९३वें नंबर पर था। पाकिस्तान ही दक्षिण एशिया का इकलौता देश था जिसकी रैंकिंग हमसे कम थी। हालांकि २०१९ में पाकिस्तान खुद को बेहतर करते हुए ९४वें स्थान पर पहुँच गया है। इस लिहाज से भारत उससे ८ पायदान नीचे है।
भारत के सबसे बुरी खबर यह भी है कि जीएचआई ने अपनी रिपोर्ट में दक्षिण एशिया की खराब रैंकिंग का जिम्मेबार भारत को माना है। उसका कहना है कि भारत के खराब प्रदर्शन से दक्षिण एशिया की रैंकिंग गिरी है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ६ से २३ महीने की उम्र वाले सिर्फ ९.६ फीसदी बच्चों को ही न्यूनतम डाइट मिलती है।
जीएचआई की इस रिपोर्ट में हमारे एक और पड़ौसी बांग्लादेश की प्रशंसा की गई है। यही नहीं एक और पड़ौसी नेपाल की रैकिंग में भी उछाल आया है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में २०१४ से २०१८ का डाटा है जिसे किसी देश में कुपोषित बच्चों के अनुपात, पांच साल से कम उम्र वाले बच्चे जिनका वजन या लंबाई उम्र के हिसाब से कम है और पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों में मृत्यु दर जैसे तीन इंडीकेटर्स के आधार पर तैयार किया जाता है। जीएचआई में देशों को १०० प्वॉइंट्स पर रैंक किया जाता है। दस से कम प्वॉइंट्स ठीक हालात की तरफ इशारा करते हैं, २० से ३४.९ को सीरियस हंगर कहा जाता है, ३५ से ४९.९ प्वॉइंट्स अलार्मिंग और ५० से ज्यादा प्वॉइंट्स बेहद अलार्मिंग कैटेगरी में माने जाते हैं।