एक ताज़ा रिपोर्ट में भारत को दुनिया में सोने की तस्करी का सबसे बड़ा हब बताया गया है। इसके लिए तमाम गैर-कानूनी रास्ते अिख्तयार किये जाते हैं। इसके लिए मानवाधिकारों का हनन, भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाकर अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका से भारत होते हुए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पहुँचाया जाता है।
28 नवंबर, 2019 को ‘इंपैक्ट’ में ‘अ गोल्डन वेब : भारत कैसे दुनिया में सोने की तस्करी का हब बना’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 1,000 टन सोना तस्करी के ज़रिये लाया जाता है। वास्तविक आँकड़ा इससे भी अधिक हो सकता है। कुछ फर्ज़ी कागज़ात से भी आयात करते हैं।
इंपैक्ट के कार्यकारी निदेशक जोआन लेबर्ट के अनुसार, ‘भारत में सोने का कारोबार इस बारे में विफल रहा है कि जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सोने के आयात में अवैध तरीका नहीं अपनाया गया है। दुनिया-भर में भारत स्वर्ण विनिर्माण केंद्र की भूमिका अदा कर रहा है, इसलिए सोने की आपूर्ति में होने वाली कमज़ोरियों को दूर करने के ज़रूरी कदम अवश्य उठाने होंगे।
इंपैक्ट के शोध से पता चलता है कि दुनिया के सोने का एक-तिहाई हिस्सा भारत से होकर गुज़रता है, जो दुनिया के सोने के विनिर्माण क्षेत्र का केंद्र है। सोने के आभूषणों के निर्यात में वृद्धि के साथ भारत दुनिया के व्यापारिक केंद्र में प्रमुख केंद्र बन गया है। सोने की आपूर्ति में अवैध तरीके जैसे सामान के साथ उत्तरी अमेरिका समेत दुनिया के बाज़ार में पहुँचाया जाता है। रिपोर्ट में तीन प्राथमिक कारक बताये हैं, जिनकी वजह से तस्करी की जा रही है :-
टैक्स ब्रेक : गोल्डडोर, जिसे बिना रिफाइन किया हुआ सोना भी कहते हैं; 2013 में भारत के रिफाइनरी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने टैक्स ब्रेक की शुरुआत की। इससे व्यापारियों को करों की कम दरों से लाभ पहुँचाने की बात कही थी। टैक्स ब्रेक के बाद 2012 में जहाँ गोल्डडोर का आयात 23 टन हुआ था, वह 2015 में बढक़र 229 टन हो गया।
फर्ज़ी दस्तावेज़ : उत्पादक देशों से आयातित सोने में अचानक तेज़ी से वृद्धि दर्ज की गयी, इसमें आपूर्ति करने के लिए •यादा सख्त कानूनी प्रक्रिया नहीं है। व्यापार के आँकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि कुछ देशों की तुलना में भारत में अधिक सोने का आयात डोमिनिकन गणराज्य और तंजानिया के साथ किया जा सकता है; जहाँ पर बनिस्बत घाना के फर्ज़ी दस्तावेज़ का इस्तेमाल किया जाता है। डोमिनिकन गणराज्य की बात करें, तो 2014 से 2017 के बीच यहाँ से 100.63 टन बिना रिफाइन किया हुआ सोना आयात किया गया। बाकी देशों से कितना किया गया, इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है।
मिलीभगत : रिफाइंड सोने की तस्करी मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात से भारत में हो रही है; जबकि अफ्रीका के ग्रेट लेक्स क्षेत्र के रिफाइनरों की पहचान देश के प्रमुख व्यापारियों के साथ अवैध सोने का व्यापार किया जाता है। इस तरह गैर-कानूनी, मानवाधिकारों का उल्लंघन कर मिलीभगत के ज़रिये अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका से सोना भारत पहुँचकर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पहुँच रहा है।
कस्टम (सीमा शुल्क) विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय कस्टम अधिकारियों ने 1197.7 किलोग्राम सोना अप्रैल-जून 2019 के बीच तस्करी का पकड़ा गया। पिछले साल इसी दौरान पकड़े गये ऐसे सोने से यह 23.2 फीसदी •यादा है। उद्योग के अधिकारियों ने एजेंसी को बताया कि जुलाई के बजट में सोने के आयात शुल्क ढाई फीसदी की बढ़ोतरी की गयी, जिसके बाद 12.5 फीसदी हो गया। इसके बाद से सोने की तस्करी में और इज़ाफा देखा गया है। कर में इज़ाफा होने के चलते मध्य-पूर्व के देशों से सोने की तस्करी बढ़ी है। तस्करी ने अवैध विदेशी मुद्रा लेन-देन को बढ़ावा दिया है।
भारत में चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए आयात की जाने वाली धातुओं पर 10 फीसदी का शुल्क लगाया था, जिसके बाद 2013 से सोने की तस्करी का खेल शुरू हुआ। ग्रे मार्केट ऑपरेटर्स यानी दुनिया में किया जाने वाला सोने की तस्करी का व्यापार, जिसमें लेन-देन कैश में किया जाता है। 2017 में सोने की तस्करी को तब और बढ़ावा मिला, जब भारत ने बुलियन पर 3 फीसदी बिक्री कर लगा दिया।
2018-19 के वित्तीय वर्ष में सीमा-शुल्क अधिकारियों ने 4,058 किलोग्राम (4 टन) सोना ज़ब्त किया, जो एक साल पहले 3,223.3 किलोग्राम, जबकि 2012-13 में 429.17 किलोग्राम ज़ब्त किया गया था। तस्करी के धन्धे में शामिल ऑपरेटर बाज़ार की कीमत से सस्ते दाम में सोना बेचते हैं; क्योंकि वे बुलियन डीलर को 15.5 फीसदी कर देने से बच निकलते हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा है कि 2018 में 95 टन सोने की तस्करी भारत में की गयी थी। हालाँकि भारत की एसोसिएशन ऑफ गोल्ड रिफाइनरीज एंड मिंट्स और अन्य उद्योग निकायों ने कहा कि वास्तविक आँकड़ा इसके दोगुना से भी अधिक हो सकता है।
आमतौर पर तस्करी का सोना किलो बार के रूप में लाया जाता है, फिर इसको ज्वेलरी या सिक्के बनाने के लिए पिघलाया जाता है। सोने की बढ़ती कीमतों के साथ इसकी तस्करी का खेल और •यादा शुरू हो गया है।
इंपैक्ट के शोध से पता चला है कि दुनिया का एक-तिहाई सोना भारत से गुज़रता है; जो दुनिया के सोने के विनिर्माण क्षेत्र का केंद्र है। अपने सोने के आभूषणों के निर्यात में वृद्धि के साथ भारत दुनिया के अग्रणी स्वर्ण व्यापारिक केंद्रों में से एक बन गया है। उत्तरी अमेरिका सहित कई देशों से तस्करी के ज़रिये भारत में सोना पहुँचता है और फिर यहाँ से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में फैल जाता है।
लेबर्ट के मुताबिक, भारत को अगर सोने के अवैध कारोबार का केंद्र कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। इसके तार पूरी दुनिया में फैल गये हैं, जिसमें गैर-कानूनी या गलत तरीका अपनाकर सोने की आपूर्ति की जाती है। अधिकारियों और मंत्रालय को इसको सोने की तस्करी थामने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि सोने के व्यापार में व्याप्त गड़बडिय़ों को खत्म किया जा सके। लेबर्ट कहते हैं कि भारत से जो भी सोने की ज्वेलरी खरीदे, उसे यह ज़रूर पूछना चाहिए कि सोना कहाँ से मँगवाया? ताकि स्पष्ट हो सके कि यह कहीं तस्करी के ज़रिये तो नहीं लाया गया।
इंपैक्ट ने भारत के स्वर्ण उद्योग से जुड़ी संस्थाओं से उनकी सोने की आपूर्ति में सही तरीका अपनाये जाने को कहा है। सोने के व्यापारियों, रिफाइनर और ज्वैलर्स की •िाम्मेदारी है कि वे अपनी सप्लाई चेन में किसी भी गड़बड़ी वाला तरीका न अपनाएँ, बल्कि अगर गैर-कानूनी तरीके से ऐसा कोई करता है, तो आगे आकर उसके िखलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराएँ।
इंपैक्ट का मानना है कि सोने की तस्करी से निजात पाने के लिए भारत को अपनी टैक्स दरों को लेकर ज़रूरी कदम तत्काल उठाने चाहिए, ताकि जो भी इस धन्धे में शामिल हैं, वे हतोत्साहित होकर सीधे रास्ते पर आ जाएँ। इसके अलावा सभी कारीगर सोने के आयात के लिए ज़रूरी टैक्स व सीमा पर निगरानी बढ़ाने के अलावा सभी ज़रूरी कदम उठाये जाएँ, ताकि अवैध तरीके के जाल को बेनकाब किया जा सके।