परमाणु बम और मिसाइलें बनाने में पाकिस्तान की मदद कर रहा है चीन
भारत का इतिहास पड़ोसी देशों की सहायता और शान्ति का रहा है। लेकिन अगर दुश्मन देश भारत की शान्ति प्रक्रिया में दख़ल डालता है, तो वह उसे नाकों चने चबवाने का वजूद रखता है। लेकिन बड़ी बात यह है कि चीन पिछले कई साल से भारत को कमज़ोर करने की चालें चल रहा है, फिर भी भारत की सरकार चुपचाप सब बर्दाश्त कर रही है।
हालत यह है लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन को लाल आँखें दिखाने वले बयान पर कई बार सवाल खड़े किये हैं। चीन की कूटनीति बड़ी ख़तरनाक और मानवता विरोधी है। वह भारत की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने के अलावा हमारे पड़ोसी देशों को अपने फेवर में लेकर या उन्हें भी कमज़ोर करके अपना बर्चस्व बढ़ा रहा है।
हाल ही में अमेरिका ने एक ऐसी चीनी साज़िश का ख़ुलासा करते हुए कहा कै कि चीन भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान को खड़ा करने की एक नयी रणनीति के तहत काम कर रहा है। अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिन्ताओं का हवाला देते हुए कहा है कि चीन पाकिस्तान को परमाणु बम और मिसाइलें बनाने में मदद कर रहा है।
इसके साथ ही अमेरिका ने चीन की दर्ज़नों कम्पनियों के साथ-साथ चीन, पाकिस्तान, जापान और सिंगापुर के कुल 27 संगठनों और लोगों को व्यापार की काली सूची में डाल दिया है। इसके कारण बताते हुए अमेरिका ने कहा है कि प्रतिबन्धित कम्पनियाँ पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) को क्वांटम कम्प्यूटिंग के प्रयासों में भी मदद कर रही थीं। अमेरिका ने इन कम्पनियों पर पाकिस्तान के परमाणु गतिविधियों और मिसाइल बनाने के कार्यक्रमों में योगदान देने जैसा गम्भीर आरोप लगाते हुए अमेरिका के वाणिज्य मंत्री गिना रैमोंडो अपने एक बयान में कहा है कि इस क़दम से अमेरिकी तकनीक की मदद से पाकिस्तान के असुरक्षित परमाणु कार्यक्रम या मिसाइल कार्यक्रम पर रोक लगेगी और कोई भी सामान बेचने से पहले इन देशों की कम्पनियों को अमेरिकी सरकार से अनुमति लेनी होगी। अमेरिकी सूत्रों का कहना है कि प्रतिबन्धित संगठनों को अब यह अनुमति नहीं मिलेगी।
पिछली रिपोट्र्स इस बात का दावा करती हैं कि चीन भारत के ख़िलाफ़ जंग की तैयारी कर रहा है और इसके लिए उसने ख़ुद हथियारों का संग्रह किया है, जिसकी चर्चा पिछले साल संसद में ख़ुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी। अभी नवंबर में अमेरिकी रक्षा सूत्रों ने दावा किया है कि चीन भारत के पड़ोसी दुश्मन देशों को भी अपने रहम-ओ-क़रम और शह पर हथियारों से मज़बूती प्रदान कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान सबसे आगे है। पिछले दिनों कुछ ख़बरें आयीं, जिनमें कहा गया कि चीन लगातार पाकिस्तानी सेना को आधुनिक हथियारों की आपूर्ति कर रहा है।
हाल ही में पाकिस्तान की सेना ने चीन द्वारा निर्मित किया गया HQ-9/P HIMADS वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) अपनी सेना में शामिल किया था। खास बात यह है कि पाकिस्तान ने यह सब भारत की वायुसेना में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के शामिल होने से ठीक पहले किया, वह भी तब जब भारत की वायुसेना में ताकतवर मिसाइलें और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के शामिल होने की ख़बरें सामने आयीं। पाकिस्तान ने HQ-9/P HIMADS वायु रक्षा प्रणाली को शामिल करने के दौरान यह दावा किया था कि चीनी वायु रक्षा प्रणाली लम्बी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है और यह 100 किलोमीटर तक फाइटर जेट, क्रूज मिसाइलों व अन्य हथियारों को एक ही वार से पूरी तरह नष्ट कर सकता है। सोचने वाली बात यह है कि चीन ने भारत के तक़रीबन सभी पड़ोसी देशों को या तो अपने पक्ष में कर रखा है या उन्हें डराकर भारत के ख़िलाफ़ कर रखा है। यहाँ तक कि भारत से डरने वाले छोटे-छोटे पडोसी देश भी अब भारत को आँख दिखाने लगे हैं।
बता दें कि 15-16 जून, 2020 को लद्दाख़ की गलवान घाटी में चीन की सेना पीएलए ने भारत और चीन सीमा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से भारत में घुसपैठ की, जिसके बाद दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प हुई। चीनी सेना के पास राड और दूसरे हथियार थे, जबकि भारतीय सैनिक निहत्थे थे, जिससे हमारे एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गये। हालाँकि इस झड़प में चीन के सैनिकों के हताहत होने और मारे जाने की भी ख़बरें सामने आयीं; लेकिन चीन ने इससे साफ़ इन्कार किया।
भारतीय सीमा में चीनी गाँव
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने पिछले दिनों अपनी सालाना रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन ने एलएसी के पास अरुणाचल के अपर सुबनसिरि ज़िले में एक बड़ा गाँव और चीन ने सेना की चौकी भी बना रखी हैं। अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने भी चीन द्वारा भारतीय सीमा में गाँव बसाये जाने की बात सोशल मीडिया के माध्यम से ज़ोर-शोर से उठायी है।
पेंटागन ने अपनी इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया था कि भारतीय सीमा में चीनी सेना की यह चौकी पिछले कुछ साल पहले बनी थी। पेंटागन का कहना है कि चीन ने जिस इलाक़े में यह गाँव बसाया है, वह क़रीब छ: दशक पहले 1959 में पीतलए ने असम राइफल पोस्ट पर क़ब्ज़ा करके हथिया लिया था। अरुणाचल प्रदेश में इसे लोंगजु घटना के नाम से जाना जाता है।
बता दें कि 5 मई 2020 में जब चीन और भारत की सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू हुआ और यह चरम पर पहुँचा, और चीन द्वारा भारत की बड़ी ज़मीनें हथियाने की ख़बरें फैलीं, तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि चीन ने मई और जून में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की, मगर भारतीय सेना ने उसके प्रयासों को विफल कर दिया।
लेकिन रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख़ में चीन ने लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर के अवैध क़ब्ज़े में है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र का दावा किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि बीजिंग (चीन की राजधानी) ने सन्धि नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि यह सन्धि अच्छी तरह से स्थापित भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है। दोनों देशों ने सन् 1950 और सन् 1960 के दशक के दौरान विचार-विमर्श किया था; लेकिन इन प्रयासों से पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान नहीं निकल सका। सीमा प्रश्न एक जटिल मुद्दा है, जिसके लिए धैर्य की ज़रूरत है, और बातचीत तथा शान्तिपूर्ण वार्ता के माध्यम से उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की माँग करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए शान्ति ज़रूरी है। लेकिन सम्प्रभुता से कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे का शान्तिपूर्ण तरीक़े से हल करना चाहते हैं। काश चीन इस बात को समझे और अपने ढीढता और उद्दण्ता भरी नीच हरकतों से बाज़ आये।
चीन ने भूटान की सीमा पर भी बसाये चार गाँव
चीन ने भारत की सीमा पर ही नहीं, भूटान की सीमा पर भी डोकलाम पठार के पास चार गाँव मई, 2020 से लेकर नवंबर, 2021 में बसा लिये हैं। इस बात का दावा ओपन सोर्स अकाउंट डेट्रस्फा ने इसी नवंबर, 2021 में किया है। चीन ने ये गाँव डोकलाम के पास बसाये हैं, जहाँ 2017 में भारत और चीन की सेनाओं में हल्का-फुल्का तनाव हुआ था। यह हिस्सा भारत के चिकन नेक गुज़रता है।
चीन से भारत ही कर सकता है मुक़ाबला
यह सच है कि एशिया में चीन और भारत, दो ही सबसे ताक़तवर देश हैं और भारत ही चीन को सबक़ सिखा सकता है। लेकिन एक तरफ़ जहाँ चीन अपनी ताक़त बढ़ाने के साथ-साथ भारत और दूसरे पड़ोसी देशों की सीमाओं पर दबदबा बढ़ा रहा है, वहीं भारत अपनी प्राचीन शान्ति परम्परा का निर्वहन करते हुए ख़ामोश दिख रहा है। बड़ी बात यह है कि पिछले कुछ साल से भारत के अपने अन्य पड़ोसी देशों भी सम्बन्ध खटास भरे हुए हैं। अन्यथा भारत अगर चाहे तो चीन और पाकिस्तान के अलावा अपने बाक़ी पड़ोसी देशों से फिर से अच्छे सम्बन्ध बनाकर उनके साथ मिलकर चीन को ललकार सकता है।