भारत के क़दम से ट्रूडो के तेवर ढीले

‘भारत एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति और महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक खिलाड़ी है। और जैसा कि हमने अपनी हिन्द-प्रशांत रणनीति के तहत कहा कि हम भारत के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध बनाने के बारे में बहुत गम्भीर हैं।’ खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर के मारे जाने पर मचे कूटनीतिक घमासान के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मॉन्ट्रियल में एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड मामले में भारतीय राजदूत के ज़िम्मेदार होने के आरोपों का खंडन करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि दोनों देशों को क्षेत्रीय अखंडता और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का सम्मान करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

दरअसल कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडा की संसद में निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का दावा पेश किये जाने के बाद से दोनों देशों के बीच गतिरोध जारी है। इसके बाद भारत और कनाडा ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। इससे भारत द्वारा कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा प्रक्रिया सेवाओं को निलंबित करने सहित दोनों देशों के बीच सम्बन्धों में कड़वाहट बढ़ी।

जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की अंतर-राज्यीय हत्याएँ न्यायिक भारत सरकार की नीति नहीं है। कनाडा और उसके सहयोगियों को दिये गये इस कड़े संदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत के साथ सम्बन्धों को सामान्य बनाने और स्थिति को शान्त करने की ज़िम्मेदारी कनाडा पर है। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करने के दौरान जयशंकर ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की पुष्टि करते हुए कहा कि वे दिन बीत चुके हैं, जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उम्मीद करते थे कि वे भी उसके अनुरूप चलें। उन्होंने ओटावा से कहा कि भारत मामले से सम्बन्धित विशिष्ट और प्रासंगिक जानकारी देखने के लिए तैयार है और अगर कनाडा विशिष्ट जानकारी प्रदान करता है, तो भारत सरकार इस पर $गौर करेगी।

ऐसे मोड़ पर जब कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने अपने सुर नरम कर लिये हैं, तब भी अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने आग में घी डालने का काम करते हुए कहा है- ‘हम अपने मूल सिद्धांतों की रक्षा करेंगे और कनाडा जैसे सहयोगियों के साथ निकटता से परामर्श करेंगे; क्योंकि वे अपनी क़ानून प्रवर्तन और राजनयिक प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।’

इस बात का कोई संकेत नहीं मिला है कि दोनों देश अपने बीच बढ़ती खाई को कम करने के लिए क़दम उठा रहे हैं। दरअसल ट्रूडो ने कथित तौर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित कनाडा के कुछ क़रीबी सहयोगियों के नेताओं को मामले के बारे में जानकारी दी थी।

अब यह कनाडा पर निर्भर करता है कि वह तनाव को कम करे और भारतीय प्रवासियों और छात्रों की आशंकाओं को दूर करे; क्योंकि कनाडा में पढऩे वाले विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या अधिक है। सन् 2022 में 5.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख यानी कुल छात्रों का 40 प्रतिशत छात्र भारतीय थे। ऐसे में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों को अत्यधिक सावधानी बरतने और सतर्क रहने का सुझाव और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।