भारत की सीमाओं और समुद्री क्षेत्रों की चौबीसों घंटे निगरानी के लिए इसरो के 10 सैटेलाइट्स- चेयरमैन

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन ने सुरक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं और समुद्री क्षेत्रों की चौबीसों घंटे निगरानी के लिए इसरो की 10 सैटेलाइट्स लगातार काम कर रही हैं। उनका यह बयान अगरतला स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU) के दीक्षांत समारोह में सामने आया।

नारायणन ने स्पष्ट किया, “अगर हमें अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तो हमें उपग्रहों के माध्यम से सेवा देनी होगी। हमारे 7,000 किलोमीटर लंबे समुद्री क्षेत्र की निगरानी उपग्रह और ड्रोन तकनीक के बिना संभव नहीं है।”

अब तक ISRO कुल 127 भारतीय सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है। इनमें से 22 सैटेलाइट्स लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में हैं। 29 सैटेलाइट्स जियो-सिंक्रोनस ऑर्बिट में कार्यरत हैं। भारत के पास करीब एक दर्जन स्पाई और सर्विलांस सैटेलाइट्स हैं, जिनमें Cartosat, RISAT, EMISAT और Microsat सीरीज शामिल हैं। इन सैटेलाइट्स का उपयोग सीमाओं की निगरानी, दुश्मन की गतिविधियों पर नजर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अन्य कार्यों के लिए किया जाता है।

ISRO जल्द ही अपनी निगरानी क्षमता को और मजबूत करने जा रहा है। 18 मई को EOS-09 (RISAT-1B) नामक रडार इमेजिंग सैटेलाइट को सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा (Sun-Synchronous Orbit) में लॉन्च किया जाएगा। यह सैटेलाइट सीमाओं की निगरानी में अहम भूमिका निभाएगा।

IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका के मुताबिक, भारत अगले 5 वर्षों में 52 नए निगरानी उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना पर काम कर रहा है। इस योजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बढ़ाई जाएगी। ये सैटेलाइट्स भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना को रीयल टाइम इंटेलिजेंस और निगरानी में सहायता प्रदान करेंगे।

नारायणन ने पूर्वोत्तर भारत के विकास में ISRO की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इसरो के कई सैटेलाइट्स इस क्षेत्र में विकास परियोजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।

कार्यक्रम में मौजूद छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “डिग्री लेने के बाद समाज को कुछ लौटाना आपकी जिम्मेदारी है। भारत जब आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब वह दुनिया को दिशा देने वाला राष्ट्र होगा।”