विश्व कप हॉकी में भारत ने अच्छी शुरूआत की। युवा भारतीय टीम जिसमें 10 खिलाड़ी पहली बार विश्व कप खेल रहे हैं, ने ग्रुप सी के अपने पहले मैच में 15वीं रैंकिग की दक्षिण अफ्रीका की टीम को 5-0 से हरा कर पूरे तीन अंक हासिल कर लिए। पांच गोल करने के कारण उनका गोलांतर भी पांच का हो गया। आज तक खेले गए विश्व कप टूर्नामेंटस में यह आठवीं बार है जब भारत ने अपना पहला मैच जीता है।
खेल के नए फार्मेट के अनुसार हर ग्रुप में चार टीमों को रखा गया है। सभी टीमें अपने-अपने ग्रुप में तीन-तीन मैच खेलेंगी और जो टीम ग्रुप को टॉप करेंगी वह सीधे क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करेगी और जो टीम सबसे नीचे रहेगी वह मुकाबलों से बाहर हो जाएगी। इसके बाद फिर हर ग्रुप में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीमों के ‘क्रास ओवर’ मैच होंगे और इस प्रकार चार और टीमें क्वार्टर फाइनल में खेलेंगी।
इस कारण अब भारत के लिए अपने ग्रुप के सभी तीन मैच जीतने ज़रूरी हंै। तभी वह सीधे क्वार्टर फाइनल में खेल पाएगी। भारत ने यह मैच एक बड़े अंतर से जीता ज़रूर पर इस युवा टीम की असली परीक्षा दो दिसंबर को विश्व की तीन रैंकिंग की टीम बेल्जियम के खिलाफ मैच में होगी। बेल्जियम ने भी अपना पहला मैच कनाडा के खिलाफ 2-1 के मामूली अंतर से जीता।
भारत शुरू से ही हमलावर रहा। पर उसने हमलों के लिए कोई जल्दी नहीं मचाई। सबसे पहले इन युवा खिलाडिय़ों ने गेंद का नियंत्रण अपने पास रखा। शुरूआती 10-12 मिनटों में 80 फीसद से ज़्यादा गेंद नियंत्रण भारत के पास रहा। भारत ने ‘काउंटर हमले’ खूब किए। उनके ‘पास’ सटीक थे और वे बहुत तेज़ी से छोर भी बदल रहे थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के ‘पास’ भी बीच में ‘काटे और दोनों ‘विंग्स’ का भरपूर इस्तेमाल किया। खिलाडिय़ों ने भारत की पुरानी आदत से अलग ‘वन टच’ पास की पद्धति अपनाई और एक बार तो केवल ‘वाडी डॉज’ से ही पास सही खिलाड़ी तक पहुंचा दिया। एक चीज़ और देखने में आई कि जब भारत पर हमला हुआ तो ‘फारवर्ड’ लाइन ने पीछे आकर रक्षा की पहली दीवार का काम किया।
पहले क्वार्टर में दक्षिण अफ्रीका की फारवर्ड लाइन और हाफ लाइन कहीं नजऱ नहीं आ रही थी, इस कारण भारत के लैफ्ट और राइट इन के फारवर्डस को काफी स्थान मिल रहा था। पर बड़ी टीमों के साथ उसे यह मौका नहीं मिलेगा। दक्षिण अफ्रीका ने भी हाफ टाइम के बाद अपनी रक्षा पंक्ति को थोड़ा कसा तो भारत के लिए कुछ कठिनाई ज़रूर पैदा हुई।
भारत के लिए पहला गोल 10वें मिनट में मंदीप सिंह ने पेनाल्टी कार्नर पर मिले रिबाउंड पर किया। इसके दो मिनट बाद अकाशदीप ने ‘डी’ में आई एक गेंद को गोल में मोड़ कर स्कोर 2-0 कर दिया। दूसरा क्वार्टर गोल रहित रहा। तीसरे क्वार्टर के अंतिम दो मिनट में सिमरनजीत सिंह (43 वें मिनट) और ललित उपाध्या (45 वें मिनट) ने दो गोल दाग कर स्कोर 4-0 कर दिया।
मैच का अंतिम गोल चैथे क्वार्टर के पहले ही मिनट में सिमरनजीत ने किया (5-0)।
बेल्जियम की जीत
ग्रुप ‘सी’ के और मैच में विश्व में तीसरी रैंकिंग की टीम बेल्जियम ने कनाडा पर 2-1 से संघर्षपूर्ण जीत हासिल की। ओलंपिक खेलों की रजत पदक विजेता बेल्जियम ने तीसरे ही मिनट में डेनायट के गोल से बढ़त हासिल कर ली। इसके बाद खेल पूरी तरह से बेल्जियम के नियंत्रण में रहा, हालांकि उसे हमले बनाने में वह लय नहीं मिल रही थी। उसका ‘जोनल डिफेंस’ पूरी तरह सही काम कर रहा था। 22 वें मिनट में कप्तान थॉमस बिल्लस के गोल ने उन्हें 2-0 की बढ़त दिला दी। इसके साथ भी उनका खेल थोड़ा धीमा हो गया। जिसका लाभ कनाडा ने उठाया और 48 वें मिनट में गोल करके बेल्जियम की बढ़त को (2-1) कम कर दिया।