आप मोदी सरकार में सबसे वरिष्ठ, महत्वपूर्ण और जिम्मेदार मंत्रियों में से एक है। आप अब अपने आप को सरकार और पार्टी में कहां पाते हैं।
सबसे पहले तो मैं स्पष्ट कर दूं कि मैं वरिष्ठतम सदस्य नहीं हूं। मेरे से कहीं वरिष्ठ लोग पार्टी और सरकार में हैं। हां, इस मामले में भाग्यशाली हूं कि मुझे अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में काम करने का अवसर मिला। मूल रूप से मैं एक कार्यकर्ता ही हूं। मैं पार्टी के विकास और उसके फैलाव से खुश होता हूं। अब मैं आता हूं आपके सवाल पर याद कीजिए जब हम सत्ता में आए थे उस समय देश की आर्थिक स्थिति क्या थी? देश में कैपिटल निवेश लगभग खत्म हो चुका था, देश आर्थिक दिवालियापन के मुहाने पर खड़ा था। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हम फ्रांस से आगे निकल दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आ गए हैं। विश्व बैंक और आईएमएस ने हमें सबसे तेज़ गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बताया है। ज़्यादातर एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) निवेश बढ़ा है और हम देखेंगे कि हमारी अर्थव्यवस्था कहां खड़ी है। देश में टैक्स का दायरा बढ़ा है। करों में किए गए सुधारों के कारण दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ा है। आज मोदी सिर्फ भारत के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के नेता माने जाते हैं।
आपने पूछा है कि साढ़े चार साल बाद हम कहां हैं? तीन राज्यों के चुनाव परिणामों ने यह दिखा दिया है। हम छत्तीसगढ़ में हारे। हम इसे स्वीकार करते हैं और इसे गंभीरता से लेंगे। यदि हम 1800 और वोट ले लेते तो हम 114 सीटें जीतते और अगर 3700 से 4000 वोट और होती तो हम 119 सीटें जीत सकते थे।
शिवराज सिंह ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी पर कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही है। मैं उन्हें बधाई देता हूं। हालांकि आशंका यह थी कि राजस्थान में हम उखड़ जाएंगे, पर हमने बराबरी की लड़ाई लड़ी। लोकसभा चुनाव में परिणाम हमारे पक्ष में आएंगे क्योंकि मतदाता परिपक्व हैं और पह समझदारी से फैसले लेता है। देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल का ज़माना चला गया। आज देश भाजपा से मजबूत व स्थाई सरकार चाहता हैं । दूसरी ओर लोग हैं जो मोदी को हराना चाहते हैं और उसके लिए महागठबंधन बना रहे हैं।
देश में शुरू की गई डिजीटल इंडिया, सौभाग्य योजना और पैसे कमाने वाली दूसरी योजनाओं ने लोगों के दिलों को छू लिया है। चुनाव में लोग भाजपा, मोदी और एनडीए के पक्ष में वोट डालेंगे।
रविशंकर जी आपने तीन राज्यों में हार की बात की। इसके एकदम बाद भाजपा को सुप्रीम कोर्ट से राहत भरी खबर मिली वह भी राफेल मामले में। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह पूरा समझौता पूरी तरह सही है, पर इसमें गलती है। उसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह गलती अदालत की है, या सरकार की या इसका दोष आप विपक्ष को देते हैं?
यह अच्छा किया कि राफेल मामले को आपने उठा लिया अब लोग इसके बारे में जान जाएंगे। 25 साल से भारतीय वायुसेना नए विमान नहीं ले पाई थी। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की वायु सेनाएं काफी मजबूत हंै। यदि हमारे पास ‘मिसाइलÓ ले जा सकने वाले वायुयान होते तो हमारे अफसर और जवान कारगिल में शहीद नहीं होते। हम वायुसेना की ममद से यह लड़ाई जीत लेते। अटल बिहारी वाजपेयी ने 2001 में शुरूआत की थी पर 2004 में चुनाव हार गए। इसके बाद 2004 से 2012 तक इस मामले में कुछ नहीं किया गया। 2012 में जब टेंडर मंगवाए गए तो दसाल्ट का रेट सबसे कम था। पर उसे रोक दिया गया। उस पर किसने दवाब डाला था और क्यों, यह सभी जानते हैं। मैं यह पूरी जिम्मेदारी से कह सकता हंू कि कांग्रेस के समय में कोई भी रक्षा सौदा बिना किसी ‘डील’ के नहीं हुआ। फिर भाजपा की सरकार आई और वायुसेना ने पूरी कहानी बताई। मोदी ने उन्हें बताया कि कानून ‘मैनुअल’ में एक धारा है जिसके अनुसार स्टेट प्रमुख समझौता कर सकता है। 36 वायुयान आ रहे है एक स्कवार्डन में 18 वायुयान होते हैं, दो ‘स्कवार्डनस’ का अर्थ है 36 विमान जो आने को तैयार हैं। इस तरह यह सारा शोर बेबुनियाद है।
बिलियम शेक्सपीयर ने कहा है -” मुसीबत कभी अकेली नहीं आती वह अपने साथ और मुसीबतें भी लाती है” । क्या आपको लगता है कि पिछले कुछ दिनों में आपकी सरकार को कठिन समय देखना पड़ा। इसमें आरबीआई के गर्वनर ने इस्तीफा दियाए सीबीआई विवाद और विधानसभा चुनावों में हार। ये सभी एक साथ आए। आप का क्या कहना है?
स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसने देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाअभियोग चलाने का निवेदन किया, ये कांग्रेस के नेताओं ने ही किया पर उसे रद्द कर दिया गया। क्या राहुल गांधी ने कभी इससे इंकार किया? वह कौन था जिसने चुनाव आयोग पर यह कह कर सवाल खड़ा किया कि उसने प्रधानमंत्री की पत्रकारवार्ता के कारण चुनाव कार्यक्रम में बदलाव किया? किसने ‘सर्जीकल स्ट्राइक’ का सबूत मांगा? यह सब राहुल गांधी ने किया। याद रखिए आपातकाल के दौरान लोगों को जेलों में डाला गया, संपादकों पर शिकंजा कसा गया अखबारों पर सेंसर लगा, यह कांग्रेस का इतिहास है। डाक्टर मनमोहन सिंह ने माना है कि सरकार और आरबीआई के बीच स्वस्थ संबंध होने चाहिए। उर्जित पटेल ने व्यक्त्गित कारणों से इस्तीफा दिया। जहां तक सीबीआई की बात है तो वहां झगड़ा नंबर एक और नंबर दो के पदों पर बैठै अफसरों के बीच था इसमें सरकार क्या करे।