विश्व के खेल मानचित्र पर यदि भारत को पहचान मिली, तो यह पहचान हॉकी ने दिलवायी। 1928 से लेकर 1956 तक भारत ने ओलंपिक खेलों में लगातार छ: स्वर्ण पदक जीते। यदि दूसरे विश्व युद्ध के कारण 1936 से 1948 के बीच दो ओलंपिक खेल और हो गये होते, तो निश्चित ही भारत के स्वर्ण पदकों की गिनती कहीं अधिक होती। पर आज भी ओलंपिक हॉकी में आठ स्वर्ण पदक जीतने वाला भारत के अलावा दूसरा कोई देश नहीं है।
महिला हॉकी की कहानी कुछ अलग है। भारत ने अब तक केवल दो ओलंपिक खेलों में भाग लिया है। सबसे पहले 1980 में मास्को ओलंपिक में जहाँ पहली बार महिला हॉकी को इन खेलों में शामिल किया गया था और दूसरी बार 36 साल बाद 2016 में रियो ओलंपिक में। मास्को में भारत चौथे स्थान पर रहा था, जबकि रियो में वह छठा स्थान पा सका। देश के लिए खुशी की बात यह है कि भारतीय महिला टीम अगले साल (2020) टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए भी क्वालीफाई कर चुकी है। देखना है कि रानी रामपाल के नेतृत्त्व में वहाँ जा रही यह युवा टीम कैसा प्रदर्शन करती है?
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला टीम को पूल-ए में रखा गया है। यह पूल काफी कठिन माना जा रहा है। इसमें भारत के साथ पिछले चैंपियन ब्रिटेन और विश्व की नम्बर एक टीम नीदरलैंड की टीमों को रखा गया है। इसके अलावा इस पूल में जर्मनी, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका की टीमें भी हैं। भारत को विश्व महिला हॉकी में नौवीं रैंकिंग मिली है। पूल-बी में आस्ट्रेलिया, स्पेन, चीन, जापान, न्यूजीलैंड और अर्जेंटीना की टीमें हैं।
भारतीय पुरुष टीम को पूल-ए में पिछले चैंपियन अर्जेंटीना और विश्व चैंपियन आस्ट्रेलिया के साथ स्थान दिया गया है। इनके अलावा पूल में स्पेन, न्यूजीलैंड और मेजमान जापान की टीमें हैं। भारतीय टीम को विश्व में पाँचवीं वरीयता प्राप्त है। पूल-बी में बेल्जियम, नीदरलैंडस, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका की टीमें हैं।
भारत को दोनों ही टीमों को ओलंपिक में स्थान बनाने के लिए क्वालीफाइंग मैच खेलने पड़े। पुरुषों ने रूस को दो मैचों की शृंखला में कुल 11-3 से परास्त किया, जबकि महिलाओं को अमेरिका पर 6-5 से संघर्षपूर्ण जीत दर्ज करना पड़ी।
यदि पूल मैचों पर नज़र डालें, तो लगता है कि भारत अन्तिम आठ में स्थान बना लेगा। दोनों पूलों से चार-चार टीमें अगले दौर में जगह बनायेगी। भारत का पूल थोड़ा आसान इसलिए है कि यूरोपीय हॉकी की प्रमुख टीमें जर्मनी, नीदरलैंडस और बैल्जियम दूसरे पूल में हैं। भारत के लिए कठिन मैच आस्ट्रेलिया के साथ ही माना जा रहा है। इसके अलावा स्पेन की टीम भी भारत को टक्कर दे सकती है। हालाँकि अर्जेंटीना पिछला चैंपियन है; पर उसके िखलाफ भारत का रिकॉर्ड अच्छा है। पिछले ओलंपिक में भी भारत ने उसे परास्त किया था। इस स्तर के मुकाबलों में किसी भी टीम को कम नहीं माना जा सकता। न्यूजीलैंड भी विश्व की किसी भी टीम को हराने में सक्षम है। कनाडा और जापान ऐसी टीमें हैं, जिन पर जीत दर्ज करने में भारत को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। हालाँकि मेज़बान जापान एशियाई चैंपियन है, पर भारत ने उसे जकार्ता में 8-0 से और एफआईएच सीरीज में 7-2 से हरा है। यदि भारत ने पूल मैचों में पहला या दूसरा स्थान पा सकता है। इस तरह उसका क्वार्टर फाइनल में पहुँचना लगभग तय माना जा सकता है।
महिला वर्ग
महिलाओं की राह आसान नहीं होगी। उनके पूल में नीदरलैंडस और जर्मनी जैसी बहुत शक्तिशाली टीमें हैं। इनके अलावा ब्रिटेन भी काफी मज़बूत हैं। इन टीमों पर जीत हासिल करना यदि भारत के लिए असम्भव नहीं, तो कठिन अवश्य है। अब रह जाती हैं आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका की टीमें। दक्षिण अफ्रीका यहाँ सबसे कमज़ोर टीम मानी जाती है। इस कारण उस पर जीत दर्ज करने में भारत को कोई बड़ी कठिनाई नहीं होनी चाहिए। भारत के भाग्य का फैसला भारत और आयरलैंड का मैच करेगा। पहले तीन स्थान तो नीदरलैड्स, जर्मनी और ब्रिटेन की टीमें ले जाएगी, पर चौथे स्थान के लिए असली टक्कर भारत और आयरलैंड के बीच होगी। यदि भारत यह मैच जीत जाता है, तो वह क्वार्टरफाइनल में अपनी जगहत बना लेगा।
ओलंपिक का हॉकी कार्यक्रम
पुरुष वर्ग
25 जुलाई, 2020 सायं भारत बनाम स्पेन
26 जुलाई, 2020 सायं भारत बनाम जापान
28 जुलाई, 2020 सुबह भारत बनाम आस्ट्रेलिया
29 जुलाई, 2020 सायं भारत बनाम न्यूजीलैंड
31 जुलाई, 2020 सुबह भारत बनाम अर्जेंटीना
02 अगस्त, 2020 क्वार्टरफाइनल मैच
04 अगस्त, 2020 सेमीफाइनल मैच
06 अगस्त, 2020 सुबह कांस्य पदक का मैच
06 अगस्त, 2020 सायं फाइनल
महिला वर्ग
26 जुलाई, 2020 सुबह भारत बनाम जर्मनी
27 जुलाई, 2020 सायं भारत बनाम नीदरलैंड
29 जुलाई, 2020 सुबह भारत बनाम आयरलैंड
30 जुलाई, 2020 सायं भारत बनाम ब्रिटेन
01 अगस्त, 2020 सायं भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका
03 अगस्त, 2020 क्वार्टरफाइनल मैच
05 अगस्त, 2020 सेमीफाइनल मैच
07 अगस्त, 2020 सुबह कांस्य पदक का मैच
07 अगस्त, 2020 सायं फाइनल