भारतीयों छात्रों को कनाडा से वापस भेजने का मामला फिलहाल लटक गया है। कनाडा सरकार ने इस पर अस्थायी रोक लगाने की घोषणा की है, साथ ही इस मामले को देखने के लिए एक टास्क फ़ोर्स का गठन किया है।
टास्क फोर्स हरेक मामले का निरीक्षण करेगी। इसके बाद वह उन छात्रों, जिनके मामले सही पाए जाते हैं, को छोड़कर अन्य के डिपोर्टेशन की सिफारिश कर सकती है। जिनके मेल सही पाए जाए हैं वो कुछ साल कनाडा में रुक पाएंगे।
कनाडा के इमीग्रेशन मंत्री ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि जांच में जो छात्र फ्रॉड के शिकार पाए जाएंगे, उन्हें सरकार कनाडा में रुकने की इजाजत देगी। साथ ही दोषी पाए जाने वाले छात्रों पर कनाडा के कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले से डिपोर्टेशन का खतरा झेल रहे कई भारतीय छात्रों को राहत मिलेगी।
यह मामला मार्च में सामने आया था जब कई छात्रों ने पढ़ाई पूरी करने के बाद कनाडा में स्थायी निवास के लिए आवेदन किया था। हालांकि, कनाडा की सीमा सुरक्षा एजेंसी ने उनके दस्तावेजों को फर्जी पाया। डिपोर्टेशन की जद में आए छात्रों के पंजाब में रहने वाले परिवारों ने शिक्षा सलाहकारों पर फर्जी प्रवेश पत्रों के जरिये धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कनाडा के विदेश मंत्री से इस मामले पर बात कर चुके हैं। विदेश मंत्रालय और टोरंटो में भारतीय कांसुलेट भी लगातार मामला देख रहा है। कनाडा से कहा गया कि छात्रों की गलती नहीं है कि उनके साथ वीजा फ्रॉड हुआ है लिहाजा उनसे मानवीय आधार पर देखा जाए।