आगामी दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर भाजपा ने भले ही अभी से चुनावी तैयारी कर दी हो , पर पार्टी में अब सब कुछ ठीक नहीं चल कहा है। तहलका संवाददाता को भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने बताया कि पार्टी प्रदेश इकाई में भाई –भतीजा वाद को महत्व दिया जा रहा है।
ताजा ,ताजा मामला ये है कि अभी हाल ही में प्रदेश नेतृत्व ने जिला और मंडल अध्यक्षों के नामों की घोषणा की थी । ताकि नये पदाधिकारी पार्टी में जी –जान से मेहनत कर दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मेहनत करें । लेकिन नये नामों की घोषणा के बाद से ही जमीनी कार्यकर्ताओं में ये आवाज उठ रही है कि प्रदेश अध्यक्ष ने नये पदाधिकारियों को लेकर कोई विशेष मेहनत नहीं की है बस उन नामों पर मुहर लगाई है । जिसके नामों पर पार्टी के पदाधिकारियों ने सिफारिश की है, या तेज तर्रार निगम पार्षदों के कहने पर पदों का वितरण किया है।जमीनी नेताओं का कहना है कि, दिल्ली नगर निगम के चुनाव 2022 में है । अगर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और सम्मान ना किया गया तो पार्टी को दिल्ली नगर के चुनाव में चौंका लगानें में दिक्कत होगी।भाजपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसी साल दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा बुरी तरह से चुनाव हार गई थी, हार के बाद मंथन बैठक में ये बात उभर कर सामने आयी थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को 5 साल तक लगातार कोसने से कुछ नही होगा, भाजपा को जमीनी स्तर पर काम करना होगा और जमीनी स्तर के नेताओं को पार्टी में अहम् जिम्मेदारी देनी होगी। जब दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद पर आदेश गुप्ता को बैठाया गया था तब दिल्ली के भाजपा के कार्यकर्ताओं को साफ संदेश गया था कि अब जमीनी नेताओं को अवसर मिलेगा पर नया कुछ नहीं हुआ बल्कि पुराने ढर्रे पर ही मंडल अध्यक्षों और जिला अध्यक्षों को जिम्मेदारी सौंपी गई। यानि सिफारिशी नेताओं को पार्टी में जगह दी गई। जमीनी नेता जगदीश का कहना है कि सन् 1993 के बाद से भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने में इस लिये असफल रही है जब चुनाव आते है तब पार्टी जमीनी नेताओं की उपेक्षा कर उन नेताओं को महत्व देती है जिनका पार्टी में कभी कोई अहम् रोल नहीं रहा है। जिसके कारण पार्टी चुनाव हार जाती है। पार्टी को स्थानीय स्तर पर और लोगों के बीच जाकर काम करने वाले राकेश कुमार का कहना है कि मंडल और जिला अध्यक्षों के नामों पर पार्टी ने नेता गौर करें तो ये बात सामने आयेगी कि दूसरे राजनीतिक दलों पर भाई- भतीजा बाद का आरोप लगाने पार्टी भी उसी रास्ते पर जिसका वह विरोध करती है। अगर यही हाल रहा तो दिल्ली नगर निगम के चुनाव में दिक्कत हो सकती है।