भाजपा का लक्ष्य प्रभावित करेंगे उपचुनावों के परिणाम

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जलवा उपचुनाव में खोखला दिखा। मऊ जनपद के घोसी विधानसभा में हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के दारा सिंह चौहान को 42,759 मतों से हरा दिया। दारा सिंह चौहान समाजवादी पार्टी को छोडक़र भारतीय जनता पार्टी में ये सोचकर गये थे कि सत्ता की मलाई खाने को मिलेगी, मगर करारी हार के बाद उनका सपना टूट गया।

इसके अतिरिक्त भारतीय जनता पार्टी को एक और बड़ा झटका पंचायत के उपचुनाव एवं ग्राम प्रधानी के तीन उपचुनावों में लगा है। मिर्जापुर जनपद के राजगढ़ विकासखंड ज़िला पंचायत सदस्य सहित शहर एवं कोन विकासखंड में ग्राम प्रधानों के उपचुनावों में भी समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को हरा दिया। समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की इस जीत को जनता की जीत बताते हुए इसका श्रेय भी जनता को ही दे डाला।

योगी को लगा झटका

भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष केंद्रीय नेता एवं उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत सभी भाजपा नेता बीते दो महीने से उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने के लिए गुणा भाग करने में लगे हैं। उत्तर प्रदेश में 80 सीटें जीतने का रिकॉर्ड अभी तक किसी ने नहीं बनाया है। भारतीय जनता पार्टी के नेता यह सपना किस आधार पर देख रहे हैं, ये तो वही जानें; मगर इतना अवश्य कहा जा सकता है कि सभी 80 सीटें अगर कोई पार्टी कभी उत्तर प्रदेश से निकाल ले, तो ये इतिहास की बड़ी जीत होगी एवं उस पार्टी की केंद्र में सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकेगा। मगर भारतीय जनता पार्टी के नेता भी जानते हैं कि यह आसान नहीं है।

असंभव को संभव करने का प्रयास फिर भी किया जा रहा है एवं इसी प्रयास के तहत कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष रूप से दिल्ली बुलाकर अकेले में लम्बी बातचीत की थी। योजना 80 को सफल बनाने के लिए ही गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी को मनाने के कई प्रयास कर चुके हैं।

भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए अगर कोई अड़चन है, तो वह अखिलेश यादव हैं। इसी कारण से अखिलेश यादव की शक्ति कम करने के लिए उनके छोटे भाई प्रतीय यादव एवं उनकी पत्नी अपर्णा यादव को अखिलेश यादव के विरुद्ध खड़ा करने का प्रयास किया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता बहुत हद तक सफल भी हुए। अब चर्चा है कि वे नेता अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव को अपने साथ लाने के प्रयास में हैं।

अपुष्ट सूत्रों का कहना तो यहाँ तक है कि शिवपाल यादव को केंद्रीय मंत्री तक बनाने को भारतीय जनता पार्टी के नेता तैयार हैं। यह बात भले ही सही न हो; मगर यह तो सच है कि भारतीय जनता पार्टी कभी भी केवल अपने दम पर उत्तर प्रदेश पर एकछत्र राज नहीं कर सकेगी, चाहे वो लोकसभा हो चाहे विधानसभा। हाल ही में हुए उपचुनावों के परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी के दिग्गजों को इसका संकेत भी दे दिया है। राजनीति से जुड़े अधिवक्ता यशवंत सिंह कहते हैं कि सत्ता को जबरन हथियाने के प्रयासों में कई बार बुरी हार का सामना करना पड़ता है। जब देश में लोकतंत्र के आधार पर चुनाव कराने का नियम है, तो किसी को भी उसका उल्लंघन नहीं करना चाहिए अन्यथा जनता को यह बुरा लगता है। हर किसी को उसके कार्यों एवं उसकी छवि के आधार पर जनता किसी पायदान पर खड़ा करती है। उसे सहर्ष स्वीकार करने में क्या समस्या है? जबरन तो कोई अपने बच्चों पर शासन नहीं कर सकता, यह तो सत्ता है।

भाजपा हो सकती है कमज़ोर

इसी माह छ: राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिनमें से भारतीय जनता पार्टी को केवल तीन सीटों पर जीत मिली। इनमें दो सीटें त्रिपुरा की हैं एवं एक उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, केरल, पश्चिम बंगाल में क्रमश: समाजवादी पार्टी, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, तृणमूल कांग्रेस ने जीत प्राप्त की।

उपचुनाव के ये संकेत सिद्ध करते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की राह आसान नहीं है एवं उसके लोकसभा के 400 से अधिक सीटों पर जीत के सपने को झटका लग सकता है।