उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव में भाजपा परीक्षा में पास ही नहीं हुई बल्कि अग्नि परीक्षा में पास हो गई। लेकिन अब पूरे सूमें इस बात पर बहस चल रही है। कि क्या सही में भाजपा ने चुनाव से पहले जो वादे किये है। उन्हें हर हाल में पूरा कर पाएगी।
मौजूदा समय में जहां एक तरफ भाजपा जीत का जश्न मना रही है। तो वही दूसरी तरफ सपा भी भाजपा की कोई भी कमी को उजागर करने के लिये अभी से ठोस राजनीति के तहत घेरने की तैयारी में है।सपा का मानना है कि अगर भाजपा विधान सभा चुनाव जीत सकती है। तो लोकसभा का चुनाव में हार भी सकती है। यानि कि केन्द्र में भाजपा को रोकने के लिये सपा पूरा दमखम लगाएंगी। सपा का मानना है कि भाजपा को अगर उत्तर प्रदेश में रोका जाये तो उसका श्रेय सपा को मिल सकता है।
वही भाजपा का मानना है कि जब 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जीत कर 2019 के लोकसभा के चुनाव में भाजपा की सरकार के बनाने में अहम योगदान दिया था। तो 2022 के उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल करके केन्द्र सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। यानि 2024 के लोकसभा के चुनाव में केन्द्र सरकार का रास्ता साफ कर दिया है।उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार सुबोध नायक का कहना है कि मौजूदा समय में खासकर हिन्दी भाषी राज्यों के साथ गैर हिन्दी भाषी राज्य में भाजपा की लहर है।
ऐसे में अगर भाजपा को रोकना फिलहाल गैर भाजपाई पार्टियोंं को लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल करना मुश्किल सा दिख रहा है।उन्होंने बताया कि जहां -जहां कांग्रेस सहित अन्य पार्टी कमजोर होगी वहीं से भाजपा की जीत पक्की होगी। यानि भाजपा को हराने के लिये विपक्ष को एक होना होगा जो एकता होती दिख नहीं रही है।